प्रसिद्ध रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी का अचानक दिल का दौरा पड़ने से 91 साल की उम्र में मृत्यू हो गयी है!
Ameen Sayani Death: प्रसिद्ध रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी का अचानक दिल का दौरा पड़ने से 91 साल की उम्र में मृत्यू हो गयी है। सयानी के अचानक हुए निधन से रेडियो इंडस्ट्री में शोक की लहर है। हर कोई अमीन की आत्मा की शांति के लिए दुआ कर रहा है।
आज़ादी के बाद जिन लोगों ने रेडियो को आम आदमी तक पहुंचाया, उसकी लोकप्रियता को प्रसिद्ध किया, उनमें सबसे अव्वल नंबर पर अमीन सयानी जी का नाम है. एक वो दौर था, जब अमीन सयानी रेडियो की आवाज़ और आधार थे. उसकी पहचान थे. रेडियो की आवाज़ मतलब अमीन सयानी थे. सप्ताह का वो प्रसिद्ध दिन बुधवार था और आपको यकीन नही होगा कि रेडियो सुनने के लिए पूरी फैमिली एक साथ बैठती थी और उनमें से एक मेंबर रात के 8 बजने से पहले रेडियो सिलोन ट्यून करता.
रेडियो पर जैसे ही उनका सुपर हिट प्रोग्राम ‘बिनाका गीतमाला’ शुरू होता था, तो वक़्त जैसे थम जाता था. बेहद जोश-ओ-ख़रोश और मेलोडियस अंदाज़ में रेडियो पर जब ये आवाज़ गूंजती ‘‘जी हां भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी और आप सुन रहे हैं बिनाका गीतमाला’’, तो एक जादू सा हो जाता था. लोग दिल थाम कर ऐसे बैठ जाते थे जैसे आज लोग 3D थेयटर में बेठते हैं. सच में वो मासूमियत भरा दौर याद कर दिल खुश हो जाता हैं.
फ़िल्मी गानों की इस हिट परेड को लेकर पहले ही लोग मोहल्लों के नुक्कड़ और चौराहों पर फ़िल्मी पुराने गीतों के दीवानों के बीच यह शर्त लगतीं कि आज के प्रोग्राम में कौन सा मूवी का गाना किस पायदान पर रहेगा, तो कौन सा टॉप पर ? ऐसी मंज़िल बहुत कम रेडियो प्रोग्राम और एनाउंसर को मिली. अब यह सब एक तारीख़ है. और खोया हुआ वक्त हैं, सच मानिये आज वो दौर की आखरी कड़ी भी खो दी.
21 दिसम्बर, 1932 को मुंबई में जन्मे अमीन सयानी का परिवार, देशभक्तों का परिवार था. जिनका सीधा संबंध राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से भी था. अमीन सयानी के वालिद के चचा रहमतुल्ला साहनी ने न सिर्फ़ गांधी जी को वकील बनाने में मदद की, बल्कि वे उन्हें अपने साथ साउथ अफ्रीका भी ले गए थे. यही नहीं अमीन सयानी के नाना तजब अली पटेल, मौलाना आज़ाद के साथ-साथ गांधी के भी डॉक्टर थे. ज़ाहिर है कि उनकी अम्मी कुलसुम साहनी भी महात्मा गांधी से काफ़ी मुतास्सिर थीं.
गांधी जी उन्हें बेहद पसंद करते थे. यहां तक कि वे कुलसुम सयानी को अपनी बेटी की तरह मानते थे. कुलसुम सयानी सियासी और समाजी जीवन में काफ़ी सरगर्म थीं. ख़ास तौर से औरतों की साक्षरता के लिए उन्होंने खू़ब काम किया. महात्मा गांधी उनके काम से बेहद प्रभावित हुए. गांधी के कहने पर ही कुलसुम सयानी ने देवनागरी, गुजराती और उर्दू ज़बान में एक मैगज़ीन शुरू की, जिसका नाम ‘रहबर’ था. अमीन सयानी, उस वक़्त 10-11 बरस के थे. वे भी मैगज़ीन के साथ पूरी तरह जुड़ गए. प्रूफ़ देखने से लेकर वे और भी इससे जुड़े कई काम करते.
उस समय अमीन सयानी हिन्दी ज़्यादा नहीं जानते थे. वजह, उनकी शुरुआती तालीम गुजराती में हुई थी. अलबत्ता थोड़ा बहुत अंग्रेज़ी ज़रूर जानते थे. मैगज़ीन का काम करते-करते उनके अंदर हिन्दुस्तानी ज़बान की तरफ़ मुहब्बत पैदा हुई. वे उसके रंग में रंग गए. ‘रहबर’ में तमाम सामग्री के साथ दो कॉलम आते थे. सरल हिन्दी कविता और आसान उर्दू शायरी.
पीछे मुड़कर नहीं देखा.
इस प्रोग्राम ने बीस साल के अमीन सयानी की ज़िन्दगी बदल कर रख दी. वे रातों-रात आवाज़ की दुनिया में स्टार बन गए. रेडियो सीलोन में पहले प्रोग्राम के बाद, ‘बिनाका गीतमाला’ की तारीफ़ में श्रोताओं के तक़रीबन नौ हज़ार ख़त पहुंचे. यह सिलसिला आगे भी क़ायम रहा.
एक दौर ऐसा भी आया, जब हर हफ़्ते ख़त की तादाद 50 हज़ार तक पहुँच गई. रेडियो और आवाज़ की दुनिया में यह एक इंक़लाब था. इससे पहले किसी प्रोग्राम को इतनी बड़ी कामयाबी नहीं मिली थी. रेडियो सीलोन और फिर उसके बाद आकाशवाणी के विविध भारती पर प्रसारित ‘बिनाका गीतमाला’ की 40 बरस से भी ज़्यादा समय तक, देश में ही नहीं दुनिया के कई देशों में भी धूम रही.
दुनिया में कोई दूसरा रेडियो या टीवी प्रोग्राम इतने लंबे वक़्त और एक साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान, श्रीलंका और खाड़ी के मुल्कों में मक़बूल नहीं रहा. इस प्रोग्राम के चाहने वाले दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया और यूरोप के कुछ मुल्कों में भी थे. यह आज भी रिसर्च का मौजू़ है कि इस कामयाबी के पीछे हिंदी फ़िल्मी नग़मों का जादू था या अमीन सयानी की चहकती आवाज़, प्रोग्राम को पेश करने का दिलकश अंदाज़. गोया कि वे जो भी कुछ बोलते, श्रोताओं के दिल को छू जाता.
दुनिया भर के लाखों श्रोताओं के लिए अमीन सयानी सिर्फ़ एक रेडियो जॉकी भर नहीं थे, बल्कि वे उनके परिवार का हिस्सा हो गए थे. अमीन सयानी ‘बिनाका गीतमाला’ में पसंदीदा गानों को बजाने के साथ-साथ श्रोताओं के मनोरंजन का पूरा ख़याल रखते. प्रोग्राम के बीच-बीच में कुछ दिलचस्प चिट्ठियां पढ़ते, तो एक कामयाब क़िस्सागो की तरह कुछ दिल को छू लेने वाले क़िस्से सुनाते. फ़िल्मी गीतों के अलावा वे अपनी बातों से भी श्रोताओं को बांधकर रखते थे.
अमीन सयानी की शानदार पेशकश में ‘बिनाका गीतमाला’ ने एक इतिहास रचा. अलबत्ता श्रोताओं की पसंद और मांग को देखकर इसमें बीच-बीच में तब्दीलियां ज़रूर होती रहीं. मसलन प्रोग्राम में गानों की तादाद सात से बढ़कर सोलह हुई, तो ‘बिनाका गीतमाला’ के जानिब लोगों की दीवानगी को देखकर, प्रोग्राम का समय आधे घंटे से बढ़ाकर एक घंटा हुआ.
साल 1986 में ‘बिनाका गीतमाला’ का नाम बदलकर ‘सिबाका गीतमाला’ हुआ, लेकिन इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई. इन सब बदलावों के बीच, सिर्फ़ एक चीज़ नहीं बदली और वह थी अमीन सयानी की आवाज़. ‘बिनाका गीतमाला’ के अलावा अमीन सयानी ने रेडियो पर जो भी प्रोग्राम पेश किए, वे सभी कामयाब रहे. अमीन सयानी का नाम ही इन प्रोग्राम की कामयाबी की जमानत होता था.
‘एस कुमार्स का फ़िल्मी मुक़दमा’, ‘फ़िल्मी मुलाकत’, ‘सैरिडॉन के साथी’, ‘बोर्नविटा क्विज प्रतियोगिता’, ‘शालीमार सुपरलैक जोड़ी’, ‘मराठा दरबार', 'संगीत के सितारों की महफ़िल’ वगैरह ऐसे कई प्रोग्राम हैं, जो अमीन सयानी की दिलकश आवाज़ और दिलचस्प पेशकश से श्रोताओं के दिल और जे़हन में आज भी ज़िंदा हैं.
‘पद्मश्री’ पुरस्कार के अलावा कई पुरस्कार से सम्मानित!
आवाज़ की दुनिया में बेमिसाल योगदान के लिए अमीन सयानी को कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है. ‘पद्मश्री’ पुरस्कार के अलावा इंडिया रेडियो फोरम के साथ लूप फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने ‘लिविंग लीजेंड अवार्ड’, इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स (आईएसए) से गोल्ड मेडल, पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड के अलावा उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी शामिल रहा है.
अमीन सयानी ने अपनी बेहतरीन ज़िंदगी के नब्बे साल मुकम्मल कर लिए हैं. आज भी उनकी आवाज़ में वही दम-ख़म है, मगर सेहत ने साथ छोड़ दिया है. बावजूद इसके वे ज़िंदगी से निराश नहीं, उनके दिल में सिर्फ़ एक हसरत है कि वे अपनी आत्मकथा कम्प्लीट कर लें. ज़ाहिर है कि इस आत्मकथा का इंतज़ार, तो दुनिया भर में उनके लाखों चाहने वालों को भी है.
Ameen Sayani Death: दिग्गज रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी की मौत हो गई है। खबर है कि बीते मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से सयानी ने दुनिया को को छोड़ दिया हैं। अमीन सयानी 91 साल के थे और उनके अचानक हुए निधन से रेडियो सुनने वाले फैंस को झटका-सा लगा है। सयानी के निधन से पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर है।
More sad news: A legend.. the melodious voice of radio, of Binaca Geetmala.. of Bournvita Quiz contest on radio and so much more.. Behno aur Bhaiyo.. the genius that was Ameen Sayani with more than 50,000 radio shows is no more.. RIP, Om Shanti 🙏🙏 pic.twitter.com/ufMQ586u6M
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) February 21, 2024
‘जी हां भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त!
एक टाइम ऐसा था जब लोग रेडियो के दीवाने हुआ करते थे। जैसे-जैसे तकनीक बढ़ती गई वैसे-वैसे पुरानी चीजें छूटती चली गई। आज भले ही ओटीटी का जमाना हो या पॉकेट एफएम का, लेकिन रेडियो की कमी अगर कोई पूरी कर सकता था तो वो थे अमीन सयानी, लेकिन अब ‘जी हां भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी’, कहने वाले पॉपुलर रेडियो अनाउंसर अमीन ने भी इस दुनिया का साथ छोड़ दिया है।
मंगलवार रात को उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा!
रिपोर्ट्स की मानें तो अमीन के बेटे राजिल सयानी ने अपने पिता की खबर की पुष्टि की है। Indianexpress.com से बात करते हुए राजिल ने कहा कि बीते मंगलवार रात को उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा था और आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन फिर भी उन्हें नहीं बचाया जा सका। राजिल ने बताया कि डॉक्टरों ने उनके पिता को बचाने की तमाम कोशिशें की, लेकिन फिर भी अमीन दुनिया को अलविदा कह गए।
Thank you for making our childhood more entertaining with the radio waves, thank you for everything Ameen Sayani sahab, the ONLY IMMORTAL voice forever!
— RJ ALOK (@OYERJALOK) February 21, 2024
"Awaaz ki Duniya Ke Doston" will miss you 🙏🙏
Rest in power 🙏🎙️#AmeenSayani pic.twitter.com/WuFTJtyU9a
गुरुवार को अमीन का अंतिम संस्कार!
खबरें हैं कि गुरुवार को अमीन का अंतिम संस्कार किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमीन की फैमिली आज यानी बुधवार को रिश्तेदारों के मुंबई पहुंचने का वेट कर रही है। बता दें कि अमीन के निधन से इंडियन रेडियो को बड़ा झटका लगा है। अमीन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां पर साहित्य का अपना एक अलग ही महत्व था। साल 1952 में अमीन ने रेडियो सीलोन के साथ अपने करियर की शुरूआत की थी।
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