तेरह साल के आयुष, 8 साल के आहान और 10 साल के पीयूष. तीनों भाई उत्तर प्रदेश के बदायूं के बाबा कॉलोनी में अपने माँ बाप और दादी के साथ तीन मंजिला मकान में रहते थे. पिता ठेकेदार हैं अकसर काम के एवज़ में घर से बाहर ही रहना होता हैं.
जब उनके पिता से बात हुई तो उनके पिता विनोद कुमार (चहरे पर दर्द )कहते हैं कि तीनों (बेटे ) आने वाले होली के त्यौहार को लेकर बहुत ही उत्साहित थे और उनकी माँ संगीता देवी ने सभी के लिए होली के नए कपड़े और जूते भी ख़रीद लिए थे.
लेकिन संगीता के घर में होली से पहले दुख का ऐसा पहाड़ टूटा कि सब कुछ पल भर में बदल गया.
उत्तर प्रदेश पुलिस बदायु का कहना है कि मंगलवार शाम आयुष और आहान की उनके घर की छत पर साजिद ने हत्या कर दी हैं.
विनोद कुमार के घर के सामने ही साजिद की नाई की दुकान है.
पीयूष ने जो देखा..!
जब हम ख़ुद घर की छत पर पहुँचे तो वहाँ की हर चीज़ भय़ानक घटना की गवाही दे रही थी.
पीयूष जिसने अपने दोनों भाइयों की हत्या अपनी आँखों से देखी, मां संगीता देवी के पैरों के पास लेटा हुआ सिसक रहा था.
उसकी उंगली पर पट्टी बंधी हुई है. उसका बोला है कि साजिद ने उस पर भी हमला बोला लेकिन वो भाग कर नीचे आ गया और बच निकला.
पीयूष ने आंगे बताया कि, "जब मैं ऊपर गया तब उन्होंने मुझे भी मारने की कोशिश की. मेरे भाई ज़मीन पर पड़े हुए थे. उनके (हत्यारा साजिद के) पैर में कांच लगा तो उनका पैर फिसल गया और तभी मैं भाग आया. मैंने मम्मी और दादी अम्मा से कहा कि मम्मी जल्दी बाहर चलो, दादा को उन्होंने मार दिया."
पीयूष की दादी मुन्नी देवी!
उसके बाद पीयूष की दादी मुन्नी देवी बोली कि, "यह छोटा वाला चिल्लाते हुए आया कि अम्मा देखो ऊपर क्या हो गया. तभी वो (हत्यारा साजिद) ऊपर से छूरी लेकर आया और इन्हें (संगीता को) इशारा करते हुए बुला रहा था. फिर हम चिल्लाए, भागो भागो और फिर हमने गेट बंद कर दिया. बाद में पुलिस आकर उसे ले गई."
मुन्नी देवी कहती हैं कि बच्चे घर के सामने वाली दुकान में साजिद से बाल कटवाने जाते थे.
वो कोई अनजान आदमी नहीं था और पूरी कॉलोनी के लोग उसे जानते थे. लोग उसके यहाँ बाल कटवाने जाते थे.
बच्चों के पिता: जावेद का भी एनकाउंटर कर दोगे तो राज़ भी ख़त्म हो जाएगा!
बच्चों के पिता विनोद कुमार कहते हैं कि वो और उनका परिवार साजिद को जानते थे.
वो कहते हैं कि उनकी कॉस्मेटिक की दुकान थी तो वहाँ से कुछ सामान भी ख़रीदा करता था. विनोद कहते हैं, "जब हमारी पत्नी ने हमें फोन किया की पैसे मांग रहा है, तो हमने कहा ठीक है, दे दो. कल वापस कर देगा."
बच्चों के पिता विनोद कुमार कहते हैं, "हम चाहते हैं कि साजिद का भाई जावेद पकड़ा जाए. हमारी उससे बात भी कराई जाए और पता लगाया जाए कि हम लोगों के साथ ऐसा क्यों हुआ. हमने उसका क्या बिगाड़ा? इन चीज़ों की जानकारी मिलेगी तभी पता चलेगा की कौन है, इसके पीछे. क्या राज़ है. उसका भी एनकाउंटर कर दोगे तो राज़ भी ख़त्म हो जाएगा."
विनोद कुमार के घर में बच्चों के स्कूल बैग एक कोने में पड़े मिले. दूसरी तरफ़ उनके स्कूल की यूनिफार्म की बेल्ट और जूते बिखरे पड़े थे.
दीवार पर बेटे आयुष के नाम से एक सत्संग में हिस्सा लेने का प्रमाण पत्र चिपका हुआ था. उसके ऊपर उसके हाथों से बनाया एक चित्र था, जिसमें अंग्रेजी में "गुड बॉय" लिखा हुआ था.
विनोद कुमार आयुष और आहान के बारे में कहते हैं कि दोनों भाई पढ़ाई में अच्छे थे.
होली का त्योहार अगले सोमवार को था तो बच्चों की माँ उनके लिए नए कपड़े और जूते लेकर आई थी. पिता विनोद कुमार कहते हैं, "अब तो वो रखे रह जाएंगे."
विनोद कुमार कहते हैं, "हमें भय महसूस हो रहा है. हमको यह ही नहीं मालूम कि किस कारण से बच्चे मारे गए हैं. अब बताओ हम क्या सवाल करें? ना मेरी कोई दुश्मनी थी उससे, तो मेरे बच्चों की हत्या की कोई साज़िश तो होगी?"
क्या कहना है साजिद के परिवारवालों का?
जिस घर में ये घटना हुई उससे लगभग 12 किलोमटेर की दूरी पर साखानू गाँव में साजिद और जावेद का घर है.
इन बच्चों के परिवारवालों ने आरोप लगाया था कि साजिद ने अपनी बीवी की डिलिवरी के लिए पैसे उधार मांगे थे.
लेकिन साजिद और जावेद की माँ नाज़रीन कहती हैं कि डिलिवरी वाली बात सही नहीं है.
वो कहती हैं, "पुलिस वाले आए और कहा कि इसने बच्चों का मर्डर कर दिया है. अब जब यह मरेगा तो तुम उसके कफ़न का इंतज़ाम कर लेना. वो भी मारा जाएगा."
हमने उनसे पूछा की पुलिस का दावा है कि साजिद पुलिस से मुठभेड़ में मारा गया है तो नज़रीन ने कहा, "तो पुलिस मुझसे कहने आए कि तुम्हारा लड़का ख़त्म हो गया है. मारा गया है गोली से."
अंत में वो कहती हैं कि उनके बेटों को फंसाया जा रहा है और उनकी पीड़ित परिवार से कोई रंजिश नहीं थी.
पुलिस फ़िलहाल जावेद की तलाश में जुटी हुई है और उसके परिवारवालों से पूछताछ कर रही है.
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