उत्तर प्रदेश के सबसे खूंखार गैंग लीडरों में से एक मुख्तार अंसारी, जिन्होंने 1997 से 2022 के बीच मऊ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था, गुरुवार शाम बांदा में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। 60 वर्षीय अंसारी को मृत घोषित किए जाने से ठीक पहले एक सप्ताह में दूसरी बार बांदा जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया था। मंगलवार को पेट दर्द की शिकायत के बाद उन्हें 14 घंटे के लिए भर्ती कराया गया था। अस्पताल की ओर से जारी बुलेटिन में कहा गया, "रात करीब 8.25 बजे अंसारी को उल्टी की शिकायत के बाद बेहोशी की हालत में इमरजेंसी विंग में लाया गया। नौ डॉक्टरों की एक टीम ने मरीज को तत्काल चिकित्सा सुविधा दी, लेकिन प्रयासों के बावजूद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।" राज्य के पुलिस प्रमुख ने अस्पताल के अधिकारियों के हवाले से मौत की पुष्टि की। पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा, "बांदा मेडिकल कॉलेज द्वारा साझा किए गए मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है।" मऊ, गाजीपुर और बांदा जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है - ये वो क्षेत्र हैं जहां अंसारी का दबदबा था, और पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया गया है। डीजीपी ने कहा, "इन जिलों में स्थानीय पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की टीमें तैनात की गई हैं।" पिछले हफ्ते अंसारी के वकीलों ने राजनेताओं पर मुकदमा चलाने के लिए बाराबंकी की विशेष अदालत में एक आवेदन दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जेल में उन्हें दिए जा रहे भोजन के माध्यम से उन्हें धीरे-धीरे जहर दिया जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अंसारी को बहुत गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था और कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिए जाने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। यूपी पुलिस मुख्यालय के एक अन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि वाराणसी और आसपास के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में भी पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है और संवेदनशील जिलों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी गई है।
अंसारी को दशकों तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे खूंखार गैंगस्टरों में से एक माना जाता था, जिसके शासनकाल में अन्य गैंगस्टर-राजनेताओं के साथ घातक प्रतिद्वंद्विता शामिल थी, जिनमें से कुछ की हत्या का आरोप उस पर और उसके सहयोगियों पर लगाया गया या उन्हें दोषी ठहराया गया। 2005 से वह पंजाब और उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद था, जब उसे पहली बार हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
बेटे का दावा- मुख्तार अंसारी को दिया गया 'धीमा जहर'!
पिछले सप्ताह मुख्तार अंसारी ने बाराबंकी कोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें भोजन के साथ कुछ 'जहरीला पदार्थ' दिया जा रहा है।
मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने दावा किया है कि गैंगस्टर से नेता बने अंसारी को जेल में 'धीमा जहर' दिया गया। 2005 से जेल में बंद अंसारी की गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बांदा के एक अस्पताल में हृदय गति रुकने से मौत हो गई।
"दो दिन पहले, मैं उनसे (मुख्तार अंसारी) मिलने आया था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई। हमने पहले भी और आज भी कहा कि उन्हें धीमा जहर दिया जा रहा है। 19 मार्च को जेल में उनके भोजन में जहरीला पदार्थ दिया गया। हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे क्योंकि हमें उस पर पूरा भरोसा है।" पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने उमर अंसारी के आरोपों का खंडन किया है।
मुख्तार अंसारी ने अदालत को बताया था कि उन्हें 'ज़हर' दिया गया था!
पिछले हफ़्ते मुख्तार अंसारी ने बाराबंकी की अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें उनके भोजन के साथ कुछ "ज़हरीला पदार्थ" दिया जा रहा था। अंसारी ने दावा किया कि 19 मार्च को भोजन खाने के बाद उनकी नसों और अंगों में दर्द होने लगा।
अंसारी के वकील द्वारा आवेदन में कहा गया है, "बाद में दर्द पूरे शरीर में फैल गया। ऐसा लग रहा था कि आवेदक मर जाएगा। इससे पहले वह पूरी तरह स्वस्थ था।"
मऊ से पांच बार विधायक रह चुके अंसारी ने आगे आरोप लगाया कि करीब 40 दिन पहले उनके भोजन में कुछ "ज़हरीला पदार्थ" मिलाया गया था। इससे भोजन तैयार करने वाले जेल कर्मचारियों ने खुद इसे चख लिया। आवेदन में दावा किया गया था कि अंसारी के साथ कर्मचारी भी बीमार पड़ गए।
मुख्तार अंसारी ने यह भी आरोप लगाया था कि बांदा जेल में उनकी जान को खतरा था और 19 मार्च को उनके भोजन में डाला गया ज़हरीला पदार्थ एक साज़िश का हिस्सा था।
मुख्तार अंसारी के वकील ने मेडिकल बोर्ड गठित कर पूर्व विधायक के इलाज की मांग की थी।
आगे क्या?
उमर अंसारी ने मीडिया को बताया कि शुक्रवार को पोस्टमार्टम कराया जाएगा। उन्होंने कहा, "इसके बाद वे हमें शव सौंप देंगे। उसके बाद हम आगे की प्रक्रिया (दफन) करेंगे। (पोस्टमार्टम के लिए) पांच डॉक्टरों का पैनल गठित किया गया है।"
इस बीच, मुख्तार अंसारी के शव को बांदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए फोरेंसिक टीम को सौंप दिया गया है।
पांच बार विधायक रहे पूर्व विधायक के निधन पर कई राजनीतिक नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
गुरुवार को एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने दुख जताया। ओवैसी ने कहा, "मैं अल्लाह से प्रार्थना करता हूं कि मुख्तार अंसारी को माफ करें और उनके परिवार और उनके चाहने वालों को धैर्य प्रदान करें। गाजीपुर के लोगों ने अपना चहेता बेटा और भाई खो दिया। मुख्तार साहब ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे कि उन्हें जहर दिया गया था। इसके बावजूद सरकार ने उनके इलाज पर कोई ध्यान नहीं दिया।" समाजवादी पार्टी के नेता अमीक जामेई ने मुख्तार अंसारी की मौत की गहन जांच की मांग की। उन्होंने कहा, "हाल ही में उन्होंने कहा था कि उनकी कभी भी हत्या हो सकती है। उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा क्यों नहीं दी गई? हम घटना की गहन जांच की मांग करेंगे।"
कौन थे मुख्तार, अंसारी क्यों गए जेल?
कौन है माफिया मुख्तार अंसारी?
90 के दशक में उत्तर प्रदेश का गाजीपुर अपराधी, अफ़ीम और आईएएस अफसर एक साथ देने वाला गाजीपुर हमेशा से पूर्वांचल के गैंगवार की ऊत्पत्ति का घर रहा है. उसी 90 में दशक का गेंगस्टर मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह समेत अन्य कुख्यातअपराधियों के नाम गाजीपुर और आस-पास के क्षेत्र में फैलने लगे. इस समय गाजीपुर में छोटे बड़े बहुत से गैंग पनपे उस समय यह क्षेत्र अपराधियों का गढ़ था. इनकी आपस में रंजिश भी हुई.
वहीं अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बनाकर प्रसिद्ध होने वाले मुख्तार अंसारी ने राजनिती की दुनिया में कदम रखे और 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर जीत भी हासिल की. इसी से समझ सकते हैं के जनता विकास के लिए नही बल्कि लोगो की प्रसिद्धी पर वोट देती हैं, तो क्षेत्र विकास होने से रहा खेर छोडो बात करते हैं गेंगस्टर अंसारी की, इसके बाद 2017 तक लगातार मऊ सदर विधानसभा की सीट पर पांच बार विरोधियों को अंसारी ने शिकस्त दी और यह क्षेत्र विकास में अन्य क्षेत्र से पिछडता गया और यहाँ चोरी हथियार स्पलाई को बड़ाबा मिला. इनमें से आख़िरी तीन चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े. जनता ने इनको ही चुना और अपना मत दिया इस दौरान उसने निर्दलीय और बाद में खुद की पार्टी कौमी एकता दल से विधायक रहा. वर्ष 2022 में उसने सियासत से दूरी बनाते हुए अपने बेटे अब्बास अंसारी को इसमें उतारा और उसने भी जीत दर्ज की. हालांकि पिता मुख्तार की तरह विधायक बेटा अब्बास अंसारी भी इस समय जेल की सलाखों के पीछे है.
बीजेपी के कृष्णानंद राय ने पहली बार मुख्तियार अंसारी को हराय़ा कुछ समय बाद हुई हत्या!
गाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 17 साल से काबिज अंसारी परिवार से 2002 के विधानसभा के चुनाव में बीजेपी के कृष्णानंद राय ने छीन ली. लेकिन वे विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, तीन साल बाद उनकी हत्या कर दी गई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वे एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे कि तभी उनकी बुलेट प्रूफ टाटा सूमो गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई.
जिसमें कृष्णानंद के साथ कुल 6 और लोग गाड़ी में थे. एके-47 से तकरीबन 500 गोलियां चलाई गईं, सभी सातों लोग मारे गए. कृष्णानंद हत्याकांड के वक्त में जेल में बंद होने के बावजूद मुख्तार अंसारी को इस हत्याकांड में नामजद किया गया.
मुख्तार अंसारी के दादा थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी!
माफिया मुख्तार के परिवार की गिनती गाजीपुर में बड़े सियासी घराने के रूप में होती थी. मुख्तार से पहले उसके परिवार में आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई नहीं था. मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. वहीं मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाजा गया था.
लेकिन उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के बजाय मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में शोहरत हासिल करना ज्यादा बेहतर समझा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गाजीपुर में साफ-सुथरी छवि रखने वाले और कम्युनिस्ट बैकग्राउंड से आने वाले मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं.
अब तक करोड़ों की संपत्ति हो चुकी है जब्त—ध्वस्त!
मुख्तार अंसारी ने जेल के अंदर रहते हुए भी अपराध की दुनिया में गुर्गों के जरिए कई वारदातों को अंजाम दिया. वहीं 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद उस पर शिकंजा कसना शुरू हुआ. मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल से यूपी लाने के बाद बांदा कारागार में रखा गया है. वहीं मऊ, गाजीपुर और लखनऊ में लगभग कई सौ करोड़ रुपये की उसकी संपत्ति जब्त और ध्वस्त की जा चुकी है.
उसके दर्जनों गुर्गों को सख्त कानून के तहत जेल में डाला गया है. मुख्तार के बेटों समेत परिवार के दूसरे लोगों पर भी गम्भीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं. एक दौर था जब तीन-चार साल पहले तक मुख्तार लखनऊ जेल में बन्द था, लेकिन बीमारी के नाम पर उसका दरबार किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में लगता था. लेकिन ये सब अब बीते दौर की बाते हो गई है.
जानें क्या है फर्जी हथिय़ार लाइसेंस से जुड़ा मामला
साल 1987 में गेंगस्टर बने नेता मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर के डीएम के पास बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। अंसारी पर आरोप है कि उन्होंने डीएम और एसपी के फर्जी साइन कर से शस्त्र लाइसेंस ले लिया। इस केस में साल 1990 में सीबीसीआईडी ने मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी समेत पांच नामजद और अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।इस मामले की छानबीन के बाद साल 1997 में मुख्तार अंसारी और तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल हुआ था, लेकिन साल 2021 में गौरीशंकर श्रीवास्तव की मौत हो गई थी। इस मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश उपाध्याय की अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है।
पहली बार फर्जीवाड़ा और साजिश की धाराओं में अधिकतम सजा हुई!
मुख्तार अंसारी के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बोला कि कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को अधिकतम सजा सुनाई है। पहली बार फर्जीवाड़ा और साजिश की धाराओं में अधिकतम सजा हुई है। हम इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।
मुख्तार अंसारी को कब-कब हुई सजा!
420, 120b सात वर्ष की सजा और पचास हजार जुर्माना।
467,120b आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माना।
468, 120b सात साल की सजा और पचास हजार जुर्माना।
30 आर्म्स एक्ट के तहत छह माह की सजा और दो हजार जुर्माना।
427 (2) के तहत पूर्व सजा के साथ ये सजाएं भी साथ-साथ चलेंगी.
कहानी उस बीजेपी नेता की हत्या की, जहां से शुरू हुआ मुख्तार अंसारी का पतन!
Krishnanand Rai Murder Case: मुख्तार अंसारी के पतन की शुरुआत साल 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से हुई। इस हाई-प्रोफाइल मर्डर केस के बाद अंसारी और उसकी गतिविधियों की जांच होने लगी। पढ़ें, क्या था पूरा मामला...
Krishnanand Rai Murder Case: माफिया-गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तारी अंसारी की 28 मार्च को मौत हो गई। वह बांदा जेल में बंद था। यहां तबीयत खराब होने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मुख्तार के ऊपर 65 मामले दर्ज थे। उसके ऊपर बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोप था। माना जाता है कि 2005 में हुए इस सनसनीखेज मर्डर केस के बाद से मुख्तार के पतन की उल्टी गिनती शुरू। इस मर्डर केस की जैसे-जैसे जांच होती गई, मुख्तार की परेशानियां बढ़ती गई। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं…
29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हुई हत्या
दरअसल, यूपी में 2002 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से कृष्णानंद राय ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की। इस सीट पर अंसारी बंधुओं का वर्चस्व था। यही वजह है कि उन्हें राय का जीतना हजम नहीं हुआ। अंसारी बंधुओं से उनकी दुश्मनी बढ़ने लगी। इसी दौरान 29 नवंबर 2005 को एक क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद लौटते समय उनके काफिले पर 500 राउंड गोलियां बरसाई गईं। इससे कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की मौत हो गई। मारे गए लोगों के शरीर से पोस्टमार्टम के दौरान 67 गोलियां बरामद हुई थीं। इस हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी के गैंग पर लगा था।
ये "बाबा गोरखनाथ" का आशीर्वाद है कि आज उनके दरबार से ये न्याय सुनने को मिला है।
— Naval Kant Sinha | नवल कान्त सिन्हा (@navalkant) March 29, 2024
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत पर कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने कहा।#mukhtar_ansari #Mukhtar pic.twitter.com/vWYP8ttGgH
कृष्णानंद राय की हत्या के खिलाफ धरने पर बैठे राजनाथ सिंह!
कृष्णानंद राय की हत्या से पूर्वांचल समेत पूरा उत्तर प्रदेश थर्रा उठा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस हत्या के खिलाफ धरने पर भी बैठे थे। अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई नेताओं ने इस हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग की, लेकिन इससे इनकार कर दिया गया।
कृष्णानंद राय का #MukhtarAnsari द्वारा हत्या की पूरी कहानी पढ़िए
— Chandan Sharma (@ChandanSharmaG) March 29, 2024
29 नवंबर 2005 में BJP विधायक कृष्णानंद राय (भूमिहार ब्राह्मण) की हत्या ने यूपी की सियासत को हिला दिया था
गुंडा मुख़्तार अंसारी 90 के दशक में सियासत की राह पकड़ी, उसने 1996 में विधानसभा चुनाव लड़ा और राजनीति पारी… pic.twitter.com/3Yz8lUikEl
सीबीआई कोर्ट ने मुख्तारी अंसारी को किया बरी!
हालांकि, बाद में मई 2006 में अलका राय की याचिका पर हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया। दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने तीन जुलाी 2005 को फैसला सुनाते हुए मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी समेत 8 आरोपियों को बरी कर दिया।
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