पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि वह अपने सबसे छोटे भाई स्वपन बनर्जी, जिन्हें बाबुन बनर्जी के नाम से भी जाना जाता है, के साथ अपने सभी तरह के रिश्ते तोड़ रही हैं.
अपने भाई पर ममता बनर्जी की यह टिप्पणी मीडिया में छाई हुई है.
इस घटना को दिल्ली से कोलकाता तक निकलने वाले अधिकतर अख़बारों ने ज़गह दी है.
भारतीय प्रसिद्ध अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने इस घटना पर छापा है कि मुख्यमंत्री का ये बयान तब आया है जब एक दिन पहले ही उनके भाई ने कहा था कि वह लोकसभा चुनाव में हावड़ा से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार प्रसून बनर्जी के ख़िलाफ़ बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
बुधवार को ममता बनर्जी ने अपने भाई के बयान पर बोला कि, “आज से मैं ख़ुद को उनसे पूरी तरह अलग करती हूँ. अब से कृपया मेरा नाम उनके साथ न जोड़ें. भूल जाइए कि मेरा उनके साथ कोई रिश्ता था. मैं ही नहीं आज से मेरे परिवार के हर सदस्य ने उनके साथ अपना रिश्ता ख़त्म कर लिया है.”
बाबुन बनर्जी कोलकाता के खेल की दुनिय़ा में एक लोकप्रिय नाम हैं और उनके फुटबॉलर और हावड़ा से सांसद प्रसून बनर्जी के साथ गहरे मतभेद हैं.
एक निजी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा था, “मुझे प्रसून बनर्जी से एलर्जी है. मैं उनके ख़िलाफ़ निर्दलीय चुनाव लड़ सकता हूँ.”
मैंने 35 रुपये कमा कर उसको पाला है.” ऐसा क्यों बोली ममता!
ममता बनर्जी के छह भाइयों में सबसे छोटे बाबुन बनर्जी बंगाल ओलंपिक एसोसिएशन, बंगाल हॉकी एसोसिएशन के अध्यक्ष, बंगाल बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिव और राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के खेल विंग के प्रभारी भी हैं.
प्रसून बनर्जी हावड़ा सीट से दो बार 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.
द हिंदू लिखता है कि बाबुन बनर्जी हावड़ा से चुनाव लड़ना चाहते थे और वहीं से वो वोटर भी हैं लेकिन जब बीते दिनों टीएमसी की उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो हावड़ा से प्रसून बनर्जी को टिकट मिला.
अपने भाई से नाराज़ ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा, “कभी-कभी लोग उम्र बढ़ने के साथ-साथ लालची हो जाते हैं. हर चुनाव में वह समस्याएं खड़ी करते हैं. मुझे लालची लोग पसंद नहीं हैं.”
उन्होंने सिलिगुड़ी में रैली के दौरान ये भी कहा, “ वह भूल गया है कि पिता के निधन के बाद परिवार ने उसका पालन-पोषण कैसे किया. वह महज ढाई साल का था और मैंने 35 रुपये कमा कर उसको पाला है.”
बाबुन बनर्जी क्या बीजेपी में शामिल होने वाले थे?
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है.
अख़बार ने मुख्यरुप से लिखा है कि बाबुन बनर्जी के बीजेपी में शामिल होने की अफ़वाहें फेलने का एक कारण ये भी हो सकता है कि बाबुन ने ऐसी बात कही जिससे संदेश गया कि वो ‘विकल्प’ तलाश रहे हैं.
उन्होंने प्रसून को टिकट मिलने के बाद कहा कि वह इससे ख़ुश नहीं हैं.
बाबुन ने कहा था, “प्रसून बनर्जी सही विकल्प नहीं हैं. ऐसे कई योग्य उम्मीदवार थे, जिन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया गया.”
इसके अलावा उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि दीदी (ममता बनर्जी) मुझसे सहमत नहीं होंगी लेकिन ज़रूरत पड़ी तो मैं हावड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा.”
ये चर्चा ज़ोरों पर थी कि बाबुन बनर्जी बीजेपी के संपर्क में हैं और शामिल हो सकते है.
ममता बनर्जी के सबसे छोटे भाई बाबुन बनर्जी अपने उम्र के 50वें पड़ाव पर हैं. अख़बार लिखता है कि साल 2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने से पहले तब उन्हें कोई नहीं जानता था. ममता के सत्ता में आने के बाद वो धीरे-धीरे चर्चा में आए. उनका नाम कोलकाता के खेल जगत में जाना जाने लगा.
बीते दिन ही में उन्होने अपना वोटर आईडी हावड़ा ट्रांसफर कराया और वहाँ से वोटर बन गए और तभी से वो यहां से चुनाव लड़ने की ताक में थे.
बाबुन बनर्जी का यूटर्न बोले-दीदी की इच्छा के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करेंगे!
ममता बनर्जी के इस कड़े बयान के बाद बाबुन बनर्जी ने अपने पुराने बयान से यूटर्न मारते हुए बोला कि वो दीदी की इच्छा के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करेंगे.
कोलकाता से निकलने वाला अख़बार द टेलीग्राफ़ छापता है कि जैसे ही ममता बनर्जी ने बाबुन बनर्जी से रिश्ते तोड़ने का बयान दिया. बाबुन बनर्जी फिर न्यूज़ टेलीविजन पर आए और अपने पहले के बयान से पलट गए.
इस बार उन्होंने बोला, “मुझसे ग़लती हो गई. दीदी को जो कहना है कह सकती हैं. यह व्यक्तिगत है, मैं इसके बारे में बात नहीं करना चाहता. मुझे पार्टी प्रत्याशी के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कहना है. दीदी का आशीर्वाद मेरे लिए सब कुछ है.”
बाबुन बनर्जी का बंगाल के खेल जगत में प्रसिद्धि ममता की वजह से!
टेलीग्राफ़ आंगे लिखता है कि कोलकाता के मोहन बागान फुटबॉल क्लब में बड़े खिलाड़ियों के पीछे घूमने वाले बाबुन बनर्जी का बंगाल के खेल की दुनिया में उदय ममता बनर्जी के आने के बाद धीरे-धीरे मज़बूती के साथ बढ़ता गया. आज वो इस दुनिया का काफ़ी जाना माना नाम बन गए.
साल 2016 में वह अपने प्रतिद्वंद्वी चंदन रॉय चौधरी को मामूली अंतर से हरा कर बंगाल ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव बने. चंदन रॉय उस समय के एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत बनर्जी के उम्मीदवार थे. अजीत बाबुन के बड़े भाई भी हैं.
चार साल बाद एसोसिएशन के चुनाव में बाबुन ने अजीत बनर्जी को हरा दिया और अध्यक्ष बने.
बाबुन बनर्जी मोहन बागान क्लब के फुटबॉल सचिव भी हैं. वह कोलकता के हॉकी और मुक्केबाजी एसोसिएशन से भी जुड़े हुए हैं.
कई खिलाड़ियों के टीएमसी में आने के पीछे भी बाबुन का हाथ है. इसमें खुद प्रसून बनर्जी, लक्ष्मी रतन शुक्ला और मनोज तिवारी शामिल हैं.
बुधवार को जब बाबुन बनर्जी ने न्यूज़ चैनल से बात की तो उन्होंने बिल्कुल भी चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा को नहीं छिपाया.
हावड़ा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हुए उन्होंने बोला, “मुझे आश्वासन दिया गया था कि 2019, 2021 में टिकट मिलेगा. इस बार भी संभावना थी (टिकट मिलने की). मैं ख़ुश नहीं हूं. जब तक दीदी ज़िंदा हैं मैं किसी और पार्टी में शामिल नहीं हो सकता. मुझे प्रसून से एलर्जी है. वह हावड़ा के लिए सही विकल्प नहीं हैं.”
लेकिन सवाल ये है कि प्रसून के लिए टीएमसी तक की राह बनाने वाले बाबुन उनसे ‘एलर्जिक’ क्यों हो गए?
टेलीग्राफ़ लिखता है कि साल 2018 में मोहन बागान क्लब की सालाना आम बैठक के दौरान प्रसून और बाबुन के बीच अनबन हो गई थी. इस दौरान कथित तौर पर दोनों के समर्थकों के बीच मारपीट हो गई थी. तब से ही बाबुन प्रसून को नापसंद करते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक टीमएसी नेता ने कहा, “हमने सोचा था कि उन्हें हावड़ा नगर निगम चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में चुना जाएगा. हालांकि परिसीमन विधेयक चार साल से राज्यपाल के पास विचाराधीन होने के कारण निगम के चुनाव रुके हुए हैं. ऐसे में बाबुन ने सोचा होगा कि उन्हें लोकसभा का टिकट मिल जाएगा लेकिन जब लिस्ट में प्रसून बनर्जी का नमा आया तो वह भड़क गए.”
टीएमसी नेता कहते हैं कि बाबुन के इस हंगामे से बहुत कुछ होने वाला नहीं है.
वह कहते हैं, “बाबुन की पहचान ममता बनर्जी के भाई के ही रूप में है. वो इससे ज़्यादा कुछ नहीं हैं. इसलिए विद्रोह तो उन्होंने शुरू किया लेकिन फिर पटरी पर आ गए.”
बंगाल की राजनिती में ममता के परिवार का कब्जा!
मुख्यमंत्री के भतीजे और उनके भाई अजीत बनर्जी के बेटे अभिषेक बनर्जी पार्टी के महासचिव हैं और डायमंड हार्बर सीट से दो बार के सांसद हैं. उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भी टिकट मिला है.
ममता बनर्जी की भाभी कजोरी बनर्जी कोलकाता नगर निगम में काउंसलर हैं.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बीजेपी नेता शमिक भट्टाचार्या ने कहा, “ये पारिवारिक मेलोड्रामा के अलावा कुछ नहीं है. लोगों को इसमें कोई रुचि नहीं है. बीजेपी को भी कोई दिलचस्पी नहीं है. जब कोई डायनेस्टी ख़त्म होने वाली होती है तो इस तरह की घटना घटती है. बीजेपी के इतने बुरे दिन नहीं आए कि उसे ममता बनर्जी के परिवार को तोड़ने की ज़रूरत पड़े.''
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