मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने भारत के अपने पहले दौरे को सफल बताया है.
What Did Muizzu Say After Returning To Maldives From India? : तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट के सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल होने के लिए मुइज़्ज़ू भारत पहुँचे थे. भारत दौरा समाप्त करने से पहले मुइज़्ज़ू ने सरकारी मीडिया पीएसएम को जानकारी दी कि भारत का उनका दौरा सफल रहा है.
What Did Muizzu Say After Returning To Maldives From India? : इसी सिलसिले में भारत के विरोधी कहे जानें वाले मुइज़्ज़ू एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आये. आपको बता दें कि बीते साल 17 नवंबर को राष्ट्रपति बनने के बाद ये उनका पहला भारत दौरा था. मुइज़्ज़ू ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहला विदेशी दौरा चीन का किया था. इससे पहले पारंपरिक रूप से मालदीव के राष्ट्रपति शपथ लेने के बाद बाद पहला दौरा भारत का करते आये है इस रिवाज में मोईजू ने पहली बार परिवर्तन किया.
उन्होंने नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाए जाने पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए, इसके लिए मोदी को दिल से धन्यवाद दिया.
उन्होंने इस बात पर बार बार बोला कि दोनों देशों के बीच मज़बूत संबंध मालदीव और मालदीव के नागरिकों के लिए बेहतर होंगे. उन्होंने भविष्य में दोनों पडोसी के बीच सफल द्विपक्षीय संबंधों की भी उम्मीद भी जताई है.
भारत से लौट कर मुइज़्ज़ू ने मालदीव में क्या कहा?
मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान और म्यांमार को छोड़कर सभी सार्क मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों को संवेधानिक रुप से आमंत्रित किया गया था.
भारत दौरे पर आये मुइज़्ज़ू ने भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दिए भोज में भी वो शामिल हुए. बाद में उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाक़ात भी की.
मुइज़्ज़ू के सरकारी दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस दौरान मुर्मू के साथ दोनों मुल्कों के विकास और समृद्धि के लिए साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत पर चर्चा हुई.
मुर्मू ने मालदीव राष्ट्रपति चुनावों में मुइज़्ज़ू की जीत पर उन्हें बधाई दी और कहा कि भारत 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' पर यक़ीन करता है और मालदीव के विकास में भागीदार के तौर पर शामिल होना चाहता है.
वहीं मुइज़्ज़ू ने भारत की लगातार मदद के लिए राष्ट्रपति मुर्मू का धन्यवाद किया और कहा कि वो भारत के साथ मालदीव के क़रीबी और ऐतिहासिक रिश्तों के प्रति प्रतिबद्ध हैं और दोनों के रिश्ते ज़्यादा मज़बूत होते देखना चाहते हैं.
मुइज़्ज़ू ने अपने भारत दौरे में विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाक़ात की और दोनों के बीच द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं में इस बात पर भी सहमति बनी कि आने वाले वक़्त में दोनों के बीच सहयोग बढ़ाया जाएगा.
मुइज़्ज़ू के दौरे को मालदीव का मीडिया कैसे देखे रहा है?
भारत से लौटकर मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने मालदीव की सरकारी पीएसएम न्यूज़ वेबसाइट को इंटरव्यू दिया है.
वेबसाइट के अनुसार, मुइज़्ज़ू ने अपने दौरे को मालदीव के लोगों के लिए फ़ायदेमंद दौरा कहा है. उन्होंने भरोसा जताया कि इस दौरे से दोनों के बीच के संबंधों को मज़बूती मिलेगी.
इसी ख़बर को द प्रेस ने भी जगह दी है. प्राईवेट वेबसाइट कहती है कि मुइज़्ज़ू ने न्योते के लिए मोदी का शुक्रिया किया और उम्मीद जताई कि आने वाले वक़्त में दोनों मुल्कों के बीच बेहतर द्वीपक्षीय रिश्ते और बेहतर होंगे.
पीएसएम ने एक और रिपोर्ट में कहा है कि राष्ट्रपति मुर्मू के दिए भोज के दौरान मुइज़्ज़ू ने मोदी के साथ महत्वपूर्ण राजनयिक चर्चा की.
वो इस दौरान मोदी के नज़दीक बैठे और आपस में बातचीत करते दिखे.
मुइज़्ज़ू के पहले दौरे को भारतीय मीडिया में कैसे देखा जा रहा है?
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ख़बर दी है कि एक तरफ़ जब मुइज़्ज़ू भारत में दोनों मुल्कों के बीच संबंध बेहतर बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जता रहे थे, दूसरी तरफ़ मालदीव में एक संसदीय कमिटी ने भारत के साथ हुए तीन समझौतों की समीक्षा की घोषणा की.
ये तीनों समझौते पूर्व राष्ट्रपति और भारत समर्थक नेता माने जाने वाले इब्राहीम सोलिह के कार्यकाल के दौरान हुए थे.
इनमें हाइड्रोग्राफ़िक सर्वे, भारत की आर्थिक मदद से बनने वाले उथुरू तिलाफालू डॉकयार्ड और मानवीय राहत कार्य के लिए मालदीव सेना को उपहार में दिए भारतीय डॉर्नियर एयरक्राफ्ट को लेकर हुआ समझौता है.
समिति का कहना है कि ये समझौते कथित तौर पर मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता का उल्लंघन करते हैं.
वहीं टाइम्स नाउ ने कहा कि जब मुइज़्ज़ू भारत में मोदी के शपथग्रहण समारोह में शिरकत कर रहे थे, उसी वक़्त मालदीव ने भारत की पीठ में छुरा भोंका है.
टाइम्स नाउ ने मालदीव और भारत के बीच हुए तीन समझौतों की समीक्षा की घोषणा की बात का ज़िक्र किया है और इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रतिक्रिया ली है.
एस जयशंकर ने कहा, "राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के साथ हमारी अच्छी बैठक हुई. प्रधानमंत्री मोदी की उनके साथ मुलाक़ात हुई, उनके साथ मुलाक़ात का मुझे भी मौक़ा मिला. मैं चाहूंगा कि मेरी सोच उनके साथ हुई मुलाक़ात और चर्चा के आधार पर हो."
वहीं मीडिया के कुछ हलकों में मोहम्मद मुइज़्ज़ू के भारत दौरे को दोनों मुल्कों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों को दुरुस्त करने की दिशा में कदम बढ़ाने के मौक़े की तरह भी देखा जा रहा है.
द ट्रिब्यून ने लिखा कि भारत और मालदीव के बीच तनावपूर्ण रिश्ते सुधारने की दिशा में मुइज़्ज़ू का दौरा भारत के लिए एक म़ौका है.
सोमवार 10 जून को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुइज़ज़ू से हुई मुलाक़ात की तस्वीर अपने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट की.
साथ ही उन्होंने लिखा कि वो उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक़्त में भारत और मालदीव मिलकर काम करेंगे.
द ट्रिब्यून लिखता है कि दो साल पहले जब भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव नहीं था, भारत ने 1.58 करोड़ रुपये की लागत से बने 10 कोस्टल सर्विलांस रडार मालदीव कोस्ट गार्ड्स की मदद के लिए दिए थे.
लेकिन बीते साल राष्ट्रपति चुनावों के बाद मोहम्मद मुइज़्ज़ू सत्ता में आए, जिसके बाद दोनों के रिश्तों में तनाव आने लगा. मुइज़्ज़ू ने पद संभालते ही कहा था कि भारत को मालदीव में तैनात अपने सैनिकों को वापस बुलाना होगा.
इस साल अप्रैल में मालदीव में संसदीय चुनाव हुए थे, जिसमें मुइज़्जू़ की पार्टी ने बहुमत हासिल किया. माना गया कि वहां की जनता ने मुइज़्ज़ू की चीन के नज़दीक जाने की नीति पर एक तरह से मुहर लगा दी है.
द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, नई सरकार में एक बार फिर विदेश मंत्री बनने के बाद जयशंकर ने साफ़ कर दिया है कि "पहले जो काम जैसा चल रहा था, वैसा ही चलता रहेगा."
उन्होंने कहा है कि चीन, पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और दूसरे मुद्दों पर सरकार की जो नीति थी, उनमें कम ही बदलाव होंगे.
पूर्व विदेश सचिव श्याम शरन ने भी अख़बार को बताया कि उन्हें अगले पांच सालों के लिए सरकार की विदेश नीति में कोई बड़े बदलाव होते नहीं दिखते.
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बीते सालों में भारत ने वैश्विक स्तर पर महत्व बढ़ाने की कोशिश की जिसका खामियाज़ा पड़ोसियों के साथ रिश्तों पर पड़ा.
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत आने वाले दिनों में अपने पड़ोसियों पर ध्यान केंद्रित करेगा क्योंकि भारत के हितों के लिए ये अहम है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने और चीन के साथ मौजूदा तनाव कम करने की दिशा में क़दम उठाएगा.
अगले महीने संघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन की अहम बैठक कज़ाख़्स्तान के अस्ताना में होने वाली है. उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात कर सकते हैं.
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