Gond Tribe: नागवंशीयो को कोंड की उपाधी दी गयी, ज़िसको मुगलो ने गोंड नाम दिया..

स्टीफन हिस्लप ( रिचर्ड टेम्पल, 1866 ) की राय में गोंड़ या गुण्ड शब्द कोंड या कुण्ड का अपभ्रंश है। • कोंड शब्द तेलगू भाषा के कोंड़ा से निकला है,  वातापी कोंड उपाधिया का इतिहास -  पल्लव  राजा नरसिंहवर्मन-I ने चालुक्य सम्राट पुलकेशिन-II को पराजित करके और उसका वध करके  वातापीकोण्ड  का खिताब हासिल किया।   महेन्द्र वर्मन-I को पुल्केशिन-II ने पराजित कर वेंगी क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था।   महानतम शासक नरसिंह वर्मन-1  पल्लव वंश महानतम शासक थे। इन्होंने महामल्ल की उपाधि भी धारण किया। इन्होंने महाबलिपुरम का रथमंदिर बनाये।  मंदिर को तट मंदिर भी कहते हैं।   पुल्केशिन-II वातापी के चालुक्य वंश के थे। पुल्केशिन-II ने हर्षवर्धन को नर्मदा नदी तट पर पराजित किया और गोंड सबसे ज्यादा नर्मदा क्षेत्र में ही पाये जाते है।  गोंडवाना इतिहास में रावण शब्द वामपंथी सोच की उपज है जिससे बहुत से गोंड रावन बने घूम रहे गोंड नागवंश के अंतरगार्त आते हैं खेरागढ़ का वंश नागवंशी गोंड है मंडला के पहले नागबंशी गोंड बुआ राव थे  जिननकी लड़की से टेकाम वंश के यादव राय ने शादी की जो के लांझी गढ़ के थे और पूराणो में थोड़ा बहुत नागवंशियों का वर्णन मिलता है गोंड शब्द मुगलों ने दिया गोंडो को कोंड शब्द से जाना जाता है तेलुगु के बहुत से प्रतापी वंशों की उपाधियां कोंड होती थी ये उपाधिया उसी को मिलती थी जिस राजा का ज्यादा राज्य विस्तार होता था और दक्षिण के प्राचीन राजवंशो के ना जाति के लोग मिलते हैं ना राजवंश तो हम कह सकते हैं इनकी कोंड उपाधी से बाद में अबुफजल ने इनको गोंड नाम दिया क्योंकी बहुत सी खोज के अनुसार गोंड लोग दक्षिण से आकर मध्य भारत और महाराष्ट्र में आकर बस गए और इनके राज्य को कोंडवाना नाम दिया होगा जिसको बाद में गोंडवाना कहा जाने लगा इनका सबसे पुराना किला महाराष्ट्र मैं कोंडाना के नाम से मिलता है जिसको ये लोग मराठी का बना हुआ बतलाते है मगर उसमे हाथी सवार सिंह मुहर लगी हुई है, दक्षिण भारत के साउथ के प्रत्येक महल और मंदिरो में हाथी सवार सिंह मिलता है,  #GondWana #gonddynasty #history #ancienthistory #gondhistory #madhyabharat #southindia

स्टीफन हिस्लप ( रिचर्ड टेम्पल, 1866 ) की राय में गोंड़ या गुण्ड शब्द कोंड या कुण्ड का अपभ्रंश है। • कोंड शब्द तेलगू भाषा के कोंड़ा से निकला है,

वातापी कोंड उपाधिया का इतिहास -

पल्लव  राजा नरसिंहवर्मन-I ने चालुक्य सम्राट पुलकेशिन-II को पराजित करके और उसका वध करके  वातापीकोण्ड  का खिताब हासिल किया। 

महेन्द्र वर्मन-I को पुल्केशिन-II ने पराजित कर वेंगी क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था। 

महानतम शासक नरसिंह वर्मन-1  पल्लव वंश महानतम शासक थे। इन्होंने महामल्ल की उपाधि भी धारण किया। इन्होंने महाबलिपुरम का रथमंदिर बनाये।  मंदिर को तट मंदिर भी कहते हैं। 

पुल्केशिन-II वातापी के चालुक्य वंश के थे। पुल्केशिन-II ने हर्षवर्धन को नर्मदा नदी तट पर पराजित किया और गोंड सबसे ज्यादा नर्मदा क्षेत्र में ही पाये जाते है।

गोंडवाना इतिहास में रावण शब्द वामपंथी सोच की उपज है जिससे बहुत से गोंड रावन बने घूम रहे गोंड नागवंश के अंतरगार्त आते हैं खेरागढ़ का वंश नागवंशी गोंड है मंडला के पहले नागबंशी गोंड बुआ राव थे  जिननकी लड़की से टेकाम वंश के यादव राय ने शादी की जो के लांझी गढ़ के थे और पूराणो में थोड़ा बहुत नागवंशियों का वर्णन मिलता है गोंड शब्द मुगलों ने दिया गोंडो को कोंड शब्द से जाना जाता है तेलुगु के बहुत से प्रतापी वंशों की उपाधियां कोंड होती थी ये उपाधिया उसी को मिलती थी जिस राजा का ज्यादा राज्य विस्तार होता था और दक्षिण के प्राचीन राजवंशो के ना जाति के लोग मिलते हैं ना राजवंश तो हम कह सकते हैं इनकी कोंड उपाधी से बाद में अबुफजल ने इनको गोंड नाम दिया क्योंकी बहुत सी खोज के अनुसार गोंड लोग दक्षिण से आकर मध्य भारत और महाराष्ट्र में आकर बस गए और इनके राज्य को कोंडवाना नाम दिया होगा जिसको बाद में गोंडवाना कहा जाने लगा इनका सबसे पुराना किला महाराष्ट्र मैं कोंडाना के नाम से मिलता है जिसको ये लोग मराठी का बना हुआ बतलाते है मगर उसमे हाथी सवार सिंह मुहर लगी हुई है, दक्षिण भारत के साउथ के प्रत्येक महल और मंदिरो में हाथी सवार सिंह मिलता है,
#GondWana #gonddynasty #history #ancienthistory #gondhistory #madhyabharat #southindia

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ