रायसेन का किला : पूरनमल शाह गोंड का गौरवमय इतिहाश..

Raisen fort history

बाड़ीगढ़ के राजा महा बली सिंह गोड के पुत्र पूरनमल शाह गोंड का गोरवमय इतिहाश ज़िसको बहुत सारे लोग राजपूत समझते है:

रायसेन किला, किले का निर्माण गोंड राजा राजवसंती ने 1200 ईस्वी में कराया

दुर्गावती का संबंध भी उसी राजवंश से था, जिससे महारानी पद्मावती थीं। वह मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा की बेटी थीं और उनका विवाह रायसेन के तोमर राजा सिल्हादी से हुआ था। फिल्म को लेकर छिड़े विवाद ने भोपाल से करीब 40 किलोमीटर दूर रायसेन के किले की इस कहानी को भी फिर से लोगों के जेहन में ताजा कर दिया है। इतिहासकारों के मुताबिक 6 मई 1532 में हुए इस जौहर के कई प्रमाण मिलते हैं। रायसेन के गजेटियर में भी इस घटना का उल्लेख है।

दुर्गावती ने कहा- झुको मत, लड़ो..

1531 में एक संयुक्त अभियान के तहत गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह, मेवाड़ के राणा सांगा और रायसेन की सिल्हादी की सेना ने मालवा के बहुत से इलाकों को जीत लिया। समझौते के मुताबिक सिल्हादी को उज्जैन और सारंगपुर के सूबे मिलने थे। मालवा विजय के बाद बहादुर शाह को लगा कि सिल्हादी और अकि शक्तिशाली हो जाएगा और उसके लिए भी खतरा बन सकता है।

सुल्तान ने अपना इरादा बदल दिया और सिल्हादी को रायसेन के किले को खाली कर सौंपने और वापस बरोडा जाने को कहा। सिल्हादी इसके लिए तैयार नहीं था। बहादुर शाह ने इस मुद्दे पर बात करने के लिए सिल्हादी को अपने कैंप में बुलाया और धोखे से मांडू में कैद कर लिया। बाद 1532 में बहादुर शाह ने रायसेन किले पर घेरा डाल दिया। उस समय किला रानी दुर्गावती और सिल्हादी के भाई लक्ष्मण राय की देखरेख में था।
कई महीनों की घेराबंदी के बाद भी बहादुर शाह किले में सेंध नहीं लगा पाया तो सिल्हादी ने स्वयं अकेले किले में प्रवेश कर अपने भाई को समझाने की पेशकश की जिसे बहादुर शाह ने मान लिया। सिल्हादी ने किले में पहुंच कर रानी दुर्गावती और अपने भाई से मंत्रणा की। रानी ने किसी भी हालत में न झुकने की सलाह दी। किले में रसद की भारी कमी और शत्रु सेना की संख्या को देखते हुए हार निश्चित थी, लिहाजा रानी दुर्गावती ने सात सौ राजपूतनियों के साथ जौहर करने का फैसला किया और बचे हुए राजपूतों ने शाका (आत्मघाती युद्ध) किया। इस युद्ध में सिल्हादी और उसका भाई मारे गए और दुर्गावती ने जौहर कर लिया।
रायसेन की राजपूतानी राजमाता दुर्गावती सिल्हादी सिंह तोमर (#मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा की बेटी थीं) ने सात सौ महिलाओं के साथ जोहर कर लिया और अपने वंशज प्रताप सिंह तोमर को सुरक्षित गुप्त मार्ग (सुरंग) से बाड़ीगढ़ के पास चौकीगढ़ के राजा महासिंह राजगोंड के पुत्र राजा पूरनमल शाह के पास भेज दिया जहाँ पूरनमल शाह ने उनको संरक्षण दिया साथ साथ ही एक बजनदार पोटरी बाबड़ी में फेकने का पैगाम भेजा पोटरी को रानी रत्नावली ने चौकीगढ़ किले की बाबड़ी में फेंक दी
संभवतः पोटली में पारस पत्थर था शायद इसी कारण लोग लालच में बाबड़ी एवं जगह जगह पर खुदाई करते है देखरेख के अभाव में हमारी ऐतिहासिक विरासत खंडर में तब्दील हो रही। वैभवशाली दो मंजिला किला में राजारानी निवास, बारना नदी का मनोरम किनारा, स्नानागार, बाबड़ी, नक्काशीदार महल, रोशनदान, बारादरी, दुर्ग पर स्थित तोपखाना, बुर्ज, 2 किलोमीटर लंबी चाहर दीवारी, गुप्त सुरंग.चौकीगढ़ किले से रायसेन और बाड़ीगढ़ (बाड़ी) किले तक एक गुप्त सुरंग निकलती है। इस सुरंग को गुप्त तरीके से किले से बाहर निकलने के लिए बनाया गया था।

क्यों राजा पूरनमल सिंह गोंड को मारना पड़ा अपनी ही पत्नी को?

1531 मैं शेरशाह सूरी ने राजा पूरन मल पर हमला किया 
पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था 
-तारीखे शेरशाही में उल्लेख है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी किले को नहीं जीत पाया था।
-तब उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया। इसके बाद ही शेरशाह को जीत नसीब हुई।
-जब शेरशाह ने इस किले को घेरा तब 1543 ईसवी में यहां राजा पूरनमल का शासन था। 
-वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब उसे मालूम पड़ा कि ऐसा हो गया है तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लगे।
राजा ने किले में काटा था रानी का सिर, इसे जीतने के लिए सिक्कों से बनी थी तोपें.
रायसेन किले पर स्थित इन तोपों को सिक्कों को गलवाकर बनाया था।
भोपाल. इस किले को जीतने के लिए 15वीं सदी में शेरशाह सूरी ने सिक्कों को गलवा कर तोपें बनवाई थी। मालवा की पूर्वी सीमा पर स्थित इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। तब राजा पूरनमल ने अपनी पत्नी का स्वयं सिर काटा था।

दुर्ग पर हुए हमले

1223 ई. में अल्तमश
1250 ई. में सुल्तान बलवन
1283 ई. में जलाल उद्दीन खिलजी
1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी
1315ई. में मलिक काफूर
1322 ई. में सुल्तान मोहम्मद शाह तुगलक
1511 ई. में साहिब खान
1532 ई. में हुमायू बादशाह
1543 ई. में शेरशाह सूरी
1554 ई. में सुल्तान बाजबहादुर
1561 ई. में मुगल सम्राट अकबर
1682 ई. में औरंगजेब
1754 ई. में फैज मोहम्मद
गजब का है ईको साउंड सिस्टम
इत्रदान महल के भीतर दीवारों पर बने आले ईको साउंड सिस्टम की मिसाल हैं। एक दीवार के आले में मुंह डालकर फुसफुसाने से विपरीत दिशा की दीवार के आले में साफ़ आवाज़ सुनाई देती है। दोनों दीवारों के बीच लगभग 20 फीट की दूरी है। यह सिस्टम आज भी समझ से परे हैं।
किला परिसर में बने सोमेश्वर महादेव मंदिर के अलावा हवा महल, रानी महल, झांझिरी महल, वारादरी, शीलादित्य की समाधी, धोबी महल, कचहरी, चमार महल, बाला किला, हम्माम,मदागन तालाब है।

आमतौर किसी किले पर दूसरे राज्यों या देशों की यात्रा हमारे लिए पर्यटन का एक स्थल होते हैं। लेकिन अपनी विरासत को जानने-समझने के लिए होने वाली भोपाल वॉक के दौरान पिछले दिनों रायसेन के किले पहुंचे।
-यह भोपाल के पास स्थित हमारे इतिहास की झलक दिखाने वाली विरासत है।
-भोपाल से रायसेन की ओर करीब डेढ़ घंटे का सफर कर रायसेन किले तक पहुंचा जा सकता है।
-ऐसा किला जिसका न केवल शानदार इतिहास है बल्कि जो खूबसूरत भी है। यह ऐसी जगह है, जहां फोटोग्राफी के शौकिनों काेे  कैमरा क्लिक करने में बहुत आनंद आता है, विशेषकर जब आसमान में बादलों का डेरा हो।


रायसेन किले की तस्वीरें 


था। क्यों राजा पूरनमल सिंह गोंड को मारना पड़ा अपनी ही पत्नी को? 1531 मैं शेरशाह सूरी ने राजा पूरन मल पर हमला किया  पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था  -तारीखे शेरशाही में उल्लेख है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी किले को नहीं जीत पाया था। -तब उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया। इसके बाद ही शेरशाह को जीत नसीब हुई। -जब शेरशाह ने इस किले को घेरा तब 1543 ईसवी में यहां राजा पूरनमल का शासन था।  -वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब उसे मालूम पड़ा कि ऐसा हो गया है तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लगे। राजा ने किले में काटा था रानी का सिर, इसे जीतने के लिए सिक्कों से बनी थी तोपें. रायसेन किले पर स्थित इन तोपों को सिक्कों को गलवाकर बनाया था। भोपाल. इस किले को जीतने के लिए 15वीं सदी में शेरशाह सूरी ने सिक्कों को गलवा कर तोपें बनवाई थी। मालवा की पूर्वी सीमा पर स्थित इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। तब राजा पूरनमल ने अपनी पत्नी का स्वयं सिर काटा था।

था। क्यों राजा पूरनमल सिंह गोंड को मारना पड़ा अपनी ही पत्नी को? 1531 मैं शेरशाह सूरी ने राजा पूरन मल पर हमला किया  पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था  -तारीखे शेरशाही में उल्लेख है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी किले को नहीं जीत पाया था। -तब उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया। इसके बाद ही शेरशाह को जीत नसीब हुई। -जब शेरशाह ने इस किले को घेरा तब 1543 ईसवी में यहां राजा पूरनमल का शासन था।  -वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब उसे मालूम पड़ा कि ऐसा हो गया है तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लगे। राजा ने किले में काटा था रानी का सिर, इसे जीतने के लिए सिक्कों से बनी थी तोपें. रायसेन किले पर स्थित इन तोपों को सिक्कों को गलवाकर बनाया था। भोपाल. इस किले को जीतने के लिए 15वीं सदी में शेरशाह सूरी ने सिक्कों को गलवा कर तोपें बनवाई थी। मालवा की पूर्वी सीमा पर स्थित इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। तब राजा पूरनमल ने अपनी पत्नी का स्वयं सिर काटा था।

था। क्यों राजा पूरनमल सिंह गोंड को मारना पड़ा अपनी ही पत्नी को? 1531 मैं शेरशाह सूरी ने राजा पूरन मल पर हमला किया  पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था  -तारीखे शेरशाही में उल्लेख है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी किले को नहीं जीत पाया था। -तब उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया। इसके बाद ही शेरशाह को जीत नसीब हुई। -जब शेरशाह ने इस किले को घेरा तब 1543 ईसवी में यहां राजा पूरनमल का शासन था।  -वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब उसे मालूम पड़ा कि ऐसा हो गया है तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लगे। राजा ने किले में काटा था रानी का सिर, इसे जीतने के लिए सिक्कों से बनी थी तोपें. रायसेन किले पर स्थित इन तोपों को सिक्कों को गलवाकर बनाया था। भोपाल. इस किले को जीतने के लिए 15वीं सदी में शेरशाह सूरी ने सिक्कों को गलवा कर तोपें बनवाई थी। मालवा की पूर्वी सीमा पर स्थित इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। तब राजा पूरनमल ने अपनी पत्नी का स्वयं सिर काटा था।

था। क्यों राजा पूरनमल सिंह गोंड को मारना पड़ा अपनी ही पत्नी को? 1531 मैं शेरशाह सूरी ने राजा पूरन मल पर हमला किया  पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था  -तारीखे शेरशाही में उल्लेख है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी किले को नहीं जीत पाया था। -तब उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया। इसके बाद ही शेरशाह को जीत नसीब हुई। -जब शेरशाह ने इस किले को घेरा तब 1543 ईसवी में यहां राजा पूरनमल का शासन था।  -वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब उसे मालूम पड़ा कि ऐसा हो गया है तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लगे। राजा ने किले में काटा था रानी का सिर, इसे जीतने के लिए सिक्कों से बनी थी तोपें. रायसेन किले पर स्थित इन तोपों को सिक्कों को गलवाकर बनाया था। भोपाल. इस किले को जीतने के लिए 15वीं सदी में शेरशाह सूरी ने सिक्कों को गलवा कर तोपें बनवाई थी। मालवा की पूर्वी सीमा पर स्थित इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। तब राजा पूरनमल ने अपनी पत्नी का स्वयं सिर काटा था।

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था। क्यों राजा पूरनमल सिंह गोंड को मारना पड़ा अपनी ही पत्नी को? 1531 मैं शेरशाह सूरी ने राजा पूरन मल पर हमला किया  पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था  -तारीखे शेरशाही में उल्लेख है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी किले को नहीं जीत पाया था। -तब उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया। इसके बाद ही शेरशाह को जीत नसीब हुई। -जब शेरशाह ने इस किले को घेरा तब 1543 ईसवी में यहां राजा पूरनमल का शासन था।  -वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब उसे मालूम पड़ा कि ऐसा हो गया है तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लगे। राजा ने किले में काटा था रानी का सिर, इसे जीतने के लिए सिक्कों से बनी थी तोपें. रायसेन किले पर स्थित इन तोपों को सिक्कों को गलवाकर बनाया था। भोपाल. इस किले को जीतने के लिए 15वीं सदी में शेरशाह सूरी ने सिक्कों को गलवा कर तोपें बनवाई थी। मालवा की पूर्वी सीमा पर स्थित इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। तब राजा पूरनमल ने अपनी पत्नी का स्वयं सिर काटा था।

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था। क्यों राजा पूरनमल सिंह गोंड को मारना पड़ा अपनी ही पत्नी को? 1531 मैं शेरशाह सूरी ने राजा पूरन मल पर हमला किया  पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था  -तारीखे शेरशाही में उल्लेख है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी किले को नहीं जीत पाया था। -तब उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया। इसके बाद ही शेरशाह को जीत नसीब हुई। -जब शेरशाह ने इस किले को घेरा तब 1543 ईसवी में यहां राजा पूरनमल का शासन था।  -वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब उसे मालूम पड़ा कि ऐसा हो गया है तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लगे। राजा ने किले में काटा था रानी का सिर, इसे जीतने के लिए सिक्कों से बनी थी तोपें. रायसेन किले पर स्थित इन तोपों को सिक्कों को गलवाकर बनाया था। भोपाल. इस किले को जीतने के लिए 15वीं सदी में शेरशाह सूरी ने सिक्कों को गलवा कर तोपें बनवाई थी। मालवा की पूर्वी सीमा पर स्थित इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। तब राजा पूरनमल ने अपनी पत्नी का स्वयं सिर काटा था।

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