Damoh news: शर्मनाक सच हम कुपोषित बच्चों को जीने का हक तक नहीं दे पा रहे हैं..

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जिला अस्पताल में 25 कुपोषित बच्चों को एनआरसी कक्ष में भर्ती करने की क्षमता है, लेकिन यहां पर केवल 7 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं मगर जो कुपोषित बच्चे भर्ती हैं, उनकी स्थिति भी ठीक नहीं है। इन 7 अतिकुपोषित बच्चों में जबेरा ब्लाक के नोहटा निवासी सोनू की 18 माह की बेटी प्रार्थना की तस्वीर सभी को डराने वाली है। प्रार्थना अतिकुपोषण की श्रेणी में पहुंच गई है। उसका वजन महज 3 किलो 300 ग्राम है। उसे डॉक्टरों ने जबेरा से दमोह जिला अस्पताल रेफर किया है। प्रार्थना की मां शालू ने बताया कि वह भोपाल में मजदूरी करने के लिए गई थी। वहां पर बच्ची की तबियत बिगड़ गई। गांव पहुंचे तो वहां से जबेरा एनआरसी भेजा गया, लेकिन वहां पर भी आराम नहीं लगा, जिस पर अब जिला अस्पताल एनआरसी भेजा है। यहां पर भी बच्ची को आराम नहीं लगा रहा है। इसी तरह की स्थिति गैसाबाद में रहने वाली लक्ष्मी की 5 साल की बेटी प्राची की है। शनिवार को चैकअप कराने के लिए लक्ष्मी बेटी को साथ लेकर अस्पताल पहुंची, लेकिन यहां पर नोडल डॉक्टर सुनील जैन नहीं मिले।
221 कुपोषित बच्चे भर्ती, 12 रेफर किए जिला अस्पताल के एनआरसी में अप्रैल से अब तक 221 कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे भर्ती हो चुके हैं। जिनमें 12 अतिकुपोषित बच्चों को जबलपुर रेफर किया गया है। लेकिन सबसे खराब स्थिति वर्तमान में केंद्र की बनी हुई है। यहां पर 25 पलंग हैं, लेकिन केवल 7 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों से बच्चों को केंद्र तक नहीं भेजा जा रहा है। सीएमएचओ कार्यालय से इसके लिए पत्र भी महिला बाल विकास विभाग भेजा गया है, लेकिन इसके बाद भी कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों को केंद्र तक नहीं भेज रही हैं। इस संबंध में महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रदीप राय ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सूचना भेजी है। अभी अक्टूबर के आंकड़े नहीं मिले हैं। आंकड़े मिलने के बाद कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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