India News: भारत में अफ़ग़ानिस्तान दूतावास आज से होगा बंद, बताईं तीन वजहें

22 साल भारत में काम करने के बाद राजधानी दिल्ली में मौजूद अफ़ग़ानिस्तान दूतावास ने कहा है कि वो रविवार से काम करना बंद कर देगा.  शनिवार देर रात अफ़ग़ानिस्तान दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत दूतावास एक अक्तूबर 2023 से काम करना बंद कर देगा. साथ ही दूतावास ने कहा कि "ये फ़ैसला अफ़ग़ानिस्तान के हित में है."  दूतावास ने तीन पन्नों के अपने बयान में इस फ़ैसले की तीन वजहें बताईं- पहली- भारत सरकार से समर्थन न मिलना, दूसरी- अफ़ग़ानिस्तान के हितों की रक्षा से जुड़ी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाना और तीसरी- कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी.  इससे पहले ये ख़बर आई थी कि अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास ने अपना कामकाज बंद करने के लिए भारत सरकार को एक पत्र लिखा है.  रिपोर्टों में कहा गया था कि दूतावास में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया गया है और कई राजनयिकों ने पश्चिमी मुल्कों में शरण लेने के लिए भारत छोड़ दिया है.  अफ़ग़ानिस्तान दूतावास ने क्या कहा?  अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास ने भारत में कामकाज बंद करने के फ़ैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद मुश्किल फ़ैसला बताया है.  सोशल मीडिया में जारी अपने बयान में दूतावास ने लिखा, "अफ़ग़ानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और लंबे वक़्त रहे रिश्तों को देखते हुए बेहद सोच समझ कर ये फ़ैसला लिया गया है."  दूतावास ने अपने बयान में कहा है कि तीन मुख्य कारणों से ये फ़ैसला लिया गया है. दूतावास ने कहा, "पहला, मेज़बान मुल्क की तरफ से हमें कोई ख़ास मदद नहीं मिल रही है, जिस कारण हम अपना काम कारगर तरीके से नहीं कर पा रहे हैं."  "दूसरा, हम ये मानते हैं कि भारत की तरफ से कूटनीतिक सहयोग न मिल पाने और अफ़ग़ानिस्तान में एक वैध सरकार न होने के कारण हम अफ़ग़ानिस्तान या अफ़ग़ान नागरिकों की ज़रूरतों और हितों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं."  "तीसरा, कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी के कारण हमारे लिए काम जारी रखना बड़ी चुनौती बन गया है. राजनयिकों के वीज़ा रीन्यूअल से लेकर दूसरे कामकाज में हमें वक्त पर ज़रूरी मदद नहीं मिल रही, जिस कारण टीम के भीतर परेशानी बढ़ रही है और इसका असर कारगर तरीके से काम करने पर पड़ रहा है."

22 साल भारत में काम करने के बाद राजधानी दिल्ली में मौजूद अफ़ग़ानिस्तान दूतावास ने कहा है कि वो रविवार से काम करना बंद कर देगा.

शनिवार देर रात अफ़ग़ानिस्तान दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत दूतावास एक अक्तूबर 2023 से काम करना बंद कर देगा. साथ ही दूतावास ने कहा कि "ये फ़ैसला अफ़ग़ानिस्तान के हित में है."

दूतावास ने तीन पन्नों के अपने बयान में इस फ़ैसले की तीन वजहें बताईं- पहली- भारत सरकार से समर्थन न मिलना, दूसरी- अफ़ग़ानिस्तान के हितों की रक्षा से जुड़ी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाना और तीसरी- कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी.

इससे पहले ये ख़बर आई थी कि अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास ने अपना कामकाज बंद करने के लिए भारत सरकार को एक पत्र लिखा है.

रिपोर्टों में कहा गया था कि दूतावास में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया गया है और कई राजनयिकों ने पश्चिमी मुल्कों में शरण लेने के लिए भारत छोड़ दिया है.

अफ़ग़ानिस्तान दूतावास ने क्या कहा?

अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास ने भारत में कामकाज बंद करने के फ़ैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद मुश्किल फ़ैसला बताया है.

सोशल मीडिया में जारी अपने बयान में दूतावास ने लिखा, "अफ़ग़ानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और लंबे वक़्त रहे रिश्तों को देखते हुए बेहद सोच समझ कर ये फ़ैसला लिया गया है."

दूतावास ने अपने बयान में कहा है कि तीन मुख्य कारणों से ये फ़ैसला लिया गया है. दूतावास ने कहा, 

  • "पहला, मेज़बान मुल्क की तरफ से हमें कोई ख़ास मदद नहीं मिल रही है, जिस कारण हम अपना काम कारगर तरीके से नहीं कर पा रहे हैं."

  • "दूसरा, हम ये मानते हैं कि भारत की तरफ से कूटनीतिक सहयोग न मिल पाने और अफ़ग़ानिस्तान में एक वैध सरकार न होने के कारण हम अफ़ग़ानिस्तान या अफ़ग़ान नागरिकों की ज़रूरतों और हितों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं."

  • "तीसरा, कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी के कारण हमारे लिए काम जारी रखना बड़ी चुनौती बन गया है. राजनयिकों के वीज़ा रीन्यूअल से लेकर दूसरे कामकाज में हमें वक्त पर ज़रूरी मदद नहीं मिल रही, जिस कारण टीम के भीतर परेशानी बढ़ रही है और इसका असर कारगर तरीके से काम करने पर पड़ रहा है."

दूतावास ने कहा, "इन कारणों के मद्देनज़र हमने दूतावास के सभी कामकाज बंद करने का मुश्किल फ़ैसला लिया है. हालांकि अफ़ग़ान नागरिकों के लिए इमर्जेंसी कंसुलर सेवाएं तब तक चालू रहेंगी जब तक मिशन आधिकारिक तौर पर भारत को कामकाज नहीं सौंप देता. विएना संधि के तहत दूतावास की संपत्ति और सुविधाएं मेज़बान मुल्क को सौंपे जाएंगे."

दूतावास ने अपने बयान में उन आरोपों पर भी सफाई दी है जिनमें कहा जा रहा था कि दूतावास के भीतर कर्मचारियों के बीच मतभेद बढ़ गया है.

दूतावास ने इन आरोपों को निराधार बताया और कहा, "राजनयिकों और दूतावास के कर्मचारियों के बीच मतभेद या झगड़े के आरोप लगाए जा रहे हैं, ये भी कहा जा रहा है कि हमरे राजनयिक किसी तीसरे मुल्क में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं. ये बेतुकी अफवाहें हैं. हम एक टीम के तौर पर अफ़ग़ानिस्तान के हितों के लिए काम कर रहे हैं."

"हम ये भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि दूतावास का कामकाज बंद करने के संबंध में हमने वजह बताते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है. भारत सरकार से गुज़ारिश है कि वो इस दर्ख़्वास्त पर गंभीरता से विचार करें."

"हम चाहेंगे कि दूतावास की संपत्ति पर अफ़ग़ान झंडे को लहराने दिया जाए, साथ ही संपत्ति को सही तरीके से काबुल में वैध सरकार को हस्तांरित किया जाए."

भारत में रहने वाले अफ़ग़ान नागरिकों के लिए दूतावास ने कहा, "यहां रहने वाले नागरिकों की परेशानियों और उनकी चिंताओं के बारे हमें अंदाज़ा है. हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है उसके बाद उनकी चिंताएं बढ़ी हैं. हम उन्हें ज़रूरी जानकारियां देते रहेंगे."

वाणिज्य दूतावासों के लेकर चेतावनी क्यों?

दिल्ली में मौजूद अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास ने चेतावनी दी है. बयान में कहा गया है, "हम कुछ वाणिज्य दूतावासों के कामकाज के बारे में ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि ये जो फ़ैसला लेंगे वो अफ़ग़ानिस्तान में चुनी हुई और वैध सरकार के उद्देश्यों के तहत नहीं होगा बल्कि अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद ग़ैरक़ानूनी सत्ता के हितों में होगा."

भारत में मुंबई और हैदराबाद में अफ़ग़ानिस्तान के वाणिज्य दूतावास हैं. दो दिन पहले इन दोनों दूतावासों ने कहा है कि वो भारत में अपना कामकाज जारी रखेंगे.

शुक्रवार को फ़ेसबुक पर जारी एक बयान में दोनों वाणिज्य दूतावासों ने दिल्ली में मौजूद अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास के बंद होने की ख़बर को अफ़वाह बताया था और कहा था कि "मुंबई और हैदराबाद में मौजूद अफ़ग़ान वाणिज्य दूतावास स्वतंत्र रूप से सेवा करने के लिए तैयार हैं."

वाणिज्य दूतावास भी खोले.

लेकिन अगस्त, 2021 में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में अशरफ़ ग़नी सरकार से सत्ता छीनकर कब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद ज़्यादातर देशों ने अपने यहां अफ़ग़ानिस्तान दूतावासों में तालिबान की नियुक्तियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

हालांकि रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान जैसे कुछ देश ऐसे हैं जहां तालिबान के नियुक्त किए गए लोग दूतावास चला रहे हैं और वहां अफ़ग़ानिस्तान की लोकतांत्रिक ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान’ सरकार की जगह ‘इस्लामिक एमिरेट्स ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान’ का झंडा तक फहराया जा रहा है.

लेकिन भारत उन देशों में शामिल है, जहां अब तक साल 2020 में ग़नी सरकार के नियुक्त किए राजदूत फ़रीद मामुन्दज़ई हैं. वो पिछले क़रीब तीन साल से भारत में काम कर रहे हैं, हालांकि पिछले कुछ महीनों से वे देश से बाहर हैं.

कुछ महीने पहले भी तालिबान सरकार ने फ़रीद मामुन्दज़ई की जगह दूतावास के ट्रेड काउंसलर क़ादिर शाह को राजनयिक कामों की ज़िम्मेदारी देने की कोशिश की थी.

तालिबान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी ने एक आदेश पारित कर दिल्ली में अफ़ग़ानिस्तान दूतावास से जुड़े मामलों को देखने के लिए आदेश जारी किया था, लेकिन दूतावास के कर्मचारियों ने ऐसा नहीं होने दिया और अंतत क़ादिर शाह के दूतावास में जाने पर रोक लगा दी गई है.

वहां अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आने पर भारत ने अस्थाई तौर पर काबुल में अपने दूतावास को बंद कर दिया था.

लेकिन साल भर बाद भारत ने अपने दूतावास में मानवीय सहायता के लिए एक टेक्निकल टीम भेजकर अफ़ग़ानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति फिर से स्थापित की, लेकिन यह दूतावास पहले की तरह नहीं चल रहा है.

News Source- BBC

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