लव मैरिज करने पर लड़के के खिलाफ दर्ज हुआ केस, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

लव मैरिज करने पर लड़के के खिलाफ दर्ज हुआ केस, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Allahabad High Court on love marriage: लव मैरिज करने पर लड़की के माता-पिता ने लड़के पर अपहरण का केस दर्ज करा दिया था। इसका कारण यह थी कि उनकी शादी मंजूर नहीं थी।

Allahabad High Court On People Against Love Marriage: भारत में लडका-लड़की के प्रेम विवाह को लेकर भारतीय समाज का विरोध किसी से छिपा नहीं है। मगर अब समय के साथ धीरे धीरे यह भारतीय समाज और बुजूर्गो के ज़रिये स्वीकार्य होता जा रहा है लेकिन भारत की कई समाजों में अब भी लव मैरिज करने के लिए प्रेमी-प्रेमिका को बहुत ही दुख, मानसिक प्रताडना, शारीरिक प्रताड़ना, समाज से वहिषकृत जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो युवा लड़की लडका आत्महत्या तक कर लेते हैं या घर से भागकर शादी करने पर मजबूर हो जाते हैं। बहुत से लोग अभी भी भारत में पुरानी सोच के ही हैं जो अपने बच्चों पर अपनी मर्जी जबरन थोपकर  उनकी जान और भविष्य खतरे में डालते हैं। प्रेम विवाह को को लेकर उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कडी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट ने प्रेम विवाह के खिलाफ जाने वालों पर नाराजगी जतायी है।

दरअसल यह प्रेम कथा का ममाला यह था कि लड़की के घरवालों ने प्रेम विवाह करने को लेकर लड़के के खिलाफ पास के थाने में एफआईआर दर्ज करा दी थी l। इलाहबाद अदालत ने इसे समाज का काला चेहरा बताया है। कोर्ट ज़ज़ का कहना था कि अगर लव मैरिज करके पति-पत्नी खुश हैं तो उसमें बाधा डालना सही नहीं है। कोर्ट ने केस को रद्द कर दिया।

प्रेम-प्रेमिका मर्जी से जीवन जीने के लिए स्वतंत्र- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने आंगे फैसले को सुनाते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी लव मैरिज स्वीकार क्यों नहीं है?। कोर्ट ने लव मैरिज करने वालों के रास्ते में मुसीवत पैदा करने वाले पुरानी और दकियानूस सोच के लोगो को आड़े हाथों लिया। अदालत ने सुनवाई में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि बालिग युवक को वैयक्तिक स्वतंत्रता का अधिकार है। वे अपनी मर्जी से अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने लड़की के घरवालों द्वारा लड़के पर केस दर्ज कराए जाने पर चिंता जाहिर की।

क्या था मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह प्रेम प्रेमिका की स्वतंत्रता का फैसला उत्तर प्रदेश बनाम सागर सविता मामले में सुनवाई के दौरान दिया। जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि हमें गहरी पीड़ा हुई। समाज का खौफ इस कदर व्याप्त है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम ऐसे मामले लड़ रहे हैं। इस तरह के केस चलाने का कोई औचित्य नहीं है। इस तरह के सामाजिक खतरे की जड़ें गहरी हैं जो बहुत अफसोस की बात है।

केस को किया खारिज

जालौन के नदीगांव थाने में यह एफआईआर दर्ज थी। लड़की के माता पिता ने लड़के के खिलाफ IPC की धारा 363, यानी अपहरण, 366 यानी किसी स्त्री को विवाह के लिए दवाव डालने  और 7/8 POCSO Act में केस दर्ज कराया था। इस केस को खारिज करने के लिए याचिकाकर्ता हाईकोर्ट पहुंचा था।

याचिकाकर्ता लड़के ने कहा था कि उसके प्रेम विवाह से लड़की के पिता खुश नहीं थे और अपहरण का केस दर्ज करा दिया। लड़की के घरवालों ने साल 2022 में यह केस दर्ज कराया था। कोर्ट ने कहा कि वे दोनों खुश हैं और उनका बच्चा भी है तो शादी को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है।

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