Siddh Baba Bundelkhand: सिद्ध बाबा या सिंघ बाबा राजगोंड बुन्देलखण्ड में किसानो के खेत में समृद्धि के देव

 

सिद्ध बाबा या सिंघ बाबा राजगोंड बुन्देलखण्ड में किसानो के खेत में समृद्धि के देव  वे समन्दर में अंडों से निकले थे। जब वे सूखी जमीन पर आए तो उन्होंने एक सुन्दर घर बनाया जिसमें उन्होंने नीलकंठ के पंखों की छड़ें और मोर की पूँछ की बल्लियाँ लगाई, सुनहरी पोशाक पहनी। वे उसमें रहने लगे। रतालू और जंगल में उगनेवाले फल उनका भोजन था। सुकमा देवी-वेलर की एक नन्हीं बेटी थी जिसके पास धान कूटनेवाले सोने का एक मूसल और सोने की एक बाल्टी थी। वह इनसे खेलती रहती थी। उसकी पोशाक भी सुनहरी थी। इसी तरह एक दूसरी कहानी है जो सन्दसुमजी के नन्हें बेटे सिंगबाबा से सम्बन्धित है उसे जंगल में फेंक दिया गया था ताकि शेर उसे खा जाएं। लेकिन एक रहमदिल शेरनी उसे उठा ले गई और उसको अपना दूध पिलाकर पालने लगी। एक दिन सिंगबाबा ने कहा, 'मैं नंगा हूँ मुझे कपड़ों की जरूरत है।' शेरनी वहाँ से चल दी और बाजार जानेवाली सड़क के किनारे जा बैठी। मलमल और दूसरे कपड़े बनानेवाले जब वहाँ से गुजरे तो शेरनी को देखकर डर गए और कपड़ों के बंडल छोड़कर भाग लिए। इन कपड़ों को पहनकर सिंगबाबा ने शेरनी के पाँव चूमे।  एक-दूसरे दिन सिंगवाया को कमान और तीरों की जरूरत पड़ी। शेरनी ने उनका भी इन्तजाम किया। सिंगबाबा ने अपने छोटे भाइयों के लिए चिड़ियों का शिकार करना शुरू कर दिया। आखिर में सिंगबाबा अपने घर लौट गया एक ब्राह्मण उनको देखकर नहीं उठा तो उसके शेर भाइयों ने उसको खा लिया। छह बुरी पत्नियों को शेरनी के हवाले कर दिया गया क्योंकि उन्होंने ही सिंगबाबा को जंगल में फिंकवाया था।

सिद्ध बाबा या सिंघ बाबा राजगोंड बुन्देलखण्ड में किसानो के खेत में समृद्धि के देव

वे समन्दर में अंडों से निकले थे। जब वे सूखी जमीन पर आए तो उन्होंने एक सुन्दर घर बनाया जिसमें उन्होंने नीलकंठ के पंखों की छड़ें और मोर की पूँछ की बल्लियाँ लगाई, सुनहरी पोशाक पहनी। वे उसमें रहने लगे। रतालू और जंगल में उगनेवाले फल उनका भोजन था। सुकमा देवी-वेलर की एक नन्हीं बेटी थी जिसके पास धान कूटनेवाले सोने का एक मूसल और सोने की एक बाल्टी थी। 

वह इनसे खेलती रहती थी। उसकी पोशाक भी सुनहरी थी। इसी तरह एक दूसरी कहानी है जो सन्दसुमजी के नन्हें बेटे सिंगबाबा से सम्बन्धित है उसे जंगल में फेंक दिया गया था ताकि शेर उसे खा जाएं। लेकिन एक रहमदिल शेरनी उसे उठा ले गई और उसको अपना दूध पिलाकर पालने लगी। एक दिन सिंगबाबा ने कहा, 'मैं नंगा हूँ मुझे कपड़ों की जरूरत है।

' शेरनी वहाँ से चल दी और बाजार जानेवाली सड़क के किनारे जा बैठी। मलमल और दूसरे कपड़े बनानेवाले जब वहाँ से गुजरे तो शेरनी को देखकर डर गए और कपड़ों के बंडल छोड़कर भाग लिए। इन कपड़ों को पहनकर सिंगबाबा ने शेरनी के पाँव चूमे।

एक-दूसरे दिन सिंगवाया को कमान और तीरों की जरूरत पड़ी। शेरनी ने उनका भी इन्तजाम किया। सिंगबाबा ने अपने छोटे भाइयों के लिए चिड़ियों का शिकार करना शुरू कर दिया। आखिर में सिंगबाबा अपने घर लौट गया एक ब्राह्मण उनको देखकर नहीं उठा तो उसके शेर भाइयों ने उसको खा लिया। छह बुरी पत्नियों को शेरनी के हवाले कर दिया गया क्योंकि उन्होंने ही सिंगबाबा को जंगल में फिंकवाया था।

Source- "Ek Gond Gaon Main Jeevan"- writer Warrior Elvin (Rajgond Historian)

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