India-Canada Hardeep Singh Nijjar Controversy: जस्टिन ट्रूडो की राजनीति में कनाडा के सिख इतने अहम क्यों हैं? कि भारत विरोधी खलिस्तान आतंकवादियों को कनाडा खुलकर उनका साथ देता है..

जस्टिन ट्रूडो जब वर्ष 2015 में पहली बार कनाडा के पीएम बने तो उन्होंने मज़ाकिया लहज़े में ये कहा था कि भारत की मोदी सरकार से ज़्यादा उनकी कैबिनेट में सिख मंत्री हैं.  उस समय ट्रूडो ने कैबिनेट में चार सिखों को शामिल किया था. ये कनाडा की राजनीति के इतिहास में पहली बार हुआ था.  फ़िलहाल प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के संसद में दिए एक बयान के बाद भारत के साथ कनाडा के रिश्ते गंभीर संकट में पहुँचते दिख रहे हैं.  जस्टिन ट्रूडो ने बीते सोमवार को संसद में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ होने की आशंका जताई, जिसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर दिया.  कनाडा के साथ भारत के रिश्तों में खालिस्तान की वजह से संबंधों में उतार-चढ़ाव पहले भी आते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी ये इतना आगे नहीं बढ़े थे कि संसद में तनाव का ज़िक्र हो.  हालांकि, जब-जब कनाडा के सिखों के बीच ट्रूडो की लोकप्रियता की बात होती है, तो सवाल खालिस्तान समर्थकों पर उनके नरम रुख़ को लेकर भी किए जाते हैं.  भारत सरकार लंबे समय से कनाडा को खालिस्तानी अलगाववादियों पर कार्रवाई करने के लिए कहती रही है.  भारत का मानना है कि ट्रूडो सरकार अपने वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखते हुए खालिस्तान पर नरम है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी ये दावा कर चुके हैं.  ट्रूडो के लिए क्यों ज़रूरी हैं सिख  मजबूर किया. हालांकि, सिख ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जाकर भी बसे लेकिन उनकी बड़ी संख्या में कनाडा पहुँची, क्योंकि यहाँ के नैतिक-सामाजिक मूल्यों में ख़ास फ़र्क़ नहीं दिखा."  आज कनाडा के समाज और राजनीति में सिखों की अहम भूमिका है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के अध्यक्ष जगमीत सिंह सिख हैं. वो भारत में सिखों के साथ बर्ताव पर कई बार खुलकर बोलते रहे हैं. वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार अपने बयानों की वजह से ही जगमीत सिंह को साल 2013 में भारत का वीज़ा नहीं दिया गया था.

जस्टिन ट्रूडो जब वर्ष 2015 में पहली बार कनाडा के पीएम बने तो उन्होंने मज़ाकिया लहज़े में ये कहा था कि भारत की मोदी सरकार से ज़्यादा उनकी कैबिनेट में सिख मंत्री हैं.

उस समय ट्रूडो ने कैबिनेट में चार सिखों को शामिल किया था. ये कनाडा की राजनीति के इतिहास में पहली बार हुआ था.

फ़िलहाल प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के संसद में दिए एक बयान के बाद भारत के साथ कनाडा के रिश्ते गंभीर संकट में पहुँचते दिख रहे हैं.

जस्टिन ट्रूडो ने बीते सोमवार को संसद में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ होने की आशंका जताई, जिसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर दिया.

कनाडा के साथ भारत के रिश्तों में खालिस्तान की वजह से संबंधों में उतार-चढ़ाव पहले भी आते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी ये इतना आगे नहीं बढ़े थे कि संसद में तनाव का ज़िक्र हो.

हालांकि, जब-जब कनाडा के सिखों के बीच ट्रूडो की लोकप्रियता की बात होती है, तो सवाल खालिस्तान समर्थकों पर उनके नरम रुख़ को लेकर भी किए जाते हैं.

भारत सरकार लंबे समय से कनाडा को खालिस्तानी अलगाववादियों पर कार्रवाई करने के लिए कहती रही है.

भारत का मानना है कि ट्रूडो सरकार अपने वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखते हुए खालिस्तान पर नरम है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी ये दावा कर चुके हैं.

ट्रूडो के लिए क्यों ज़रूरी हैं सिख

मजबूर किया. हालांकि, सिख ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जाकर भी बसे लेकिन उनकी बड़ी संख्या में कनाडा पहुँची, क्योंकि यहाँ के नैतिक-सामाजिक मूल्यों में ख़ास फ़र्क़ नहीं दिखा."

आज कनाडा के समाज और राजनीति में सिखों की अहम भूमिका है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के अध्यक्ष जगमीत सिंह सिख हैं. वो भारत में सिखों के साथ बर्ताव पर कई बार खुलकर बोलते रहे हैं. वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार अपने बयानों की वजह से ही जगमीत सिंह को साल 2013 में भारत का वीज़ा नहीं दिया गया था.

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