केन्द्रिय सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का रास्ता आसान करने की कोशिश में रात दिन लगी हुई है. इसी बड़ी समस्या को लेकर अगले महीने से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में जुटी हुई है। बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक के आने के बाद सरकारी बैंकों के निजीकरण में अधिक रफ्तार आएगी और निजीकरण करना आसान हो जायेगा. देश दिग्गज माहिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले बजट 2021- 22 को संसद में पेश करने के समय दो सरकारी बैंकों और जनरल इंश्योरेंस कंपनी के प्राइवेट का प्रस्ताव पेश किया था। और इसी कारण से इस बार का होने वाला मानसून सत्र देश के भविष्य के लिए अति मेहत्वपूर्ण होगा क्योंकि संसद के मानसून सत्र में केन्द्रिय सरकार और विपक्ष कई मेहत्वपूर्ण देश के मुद्दों पर बेहश करेगी जो कि देश के विकास में बाधक है। इनमें सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने के लिए लाया जाने वाला बैंकिंग कानून संशोधन बिल के अलावा बाल विवाह की रोकथाम सहित चार बिल शामिल हैं, जिन्हें असहमति के कारण संसदीय समितियों को भेजा गया था। देश का कमज़ोर विपक्ष जो कि सरकार की मजबूत संख्या के सामने इस बार सरकार को भाजपा से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पेगम्बर की विवादित टिप्पणी सेना में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निपथ योजना, केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग, महंगाई और बेरोजगारी के सवाल पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। सरकार ने भी जवाबी रणनीति तैयार की है आपको बता दे इस बार देश में विपक्ष कमज़ोर है और सरकार मजबूत क्योंकि जनता ने मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत दिया है। इसी रणनीति के तहत दोनों ओर से लोकसभा में चालीस से अधिक सांसदों पर भी सरकारी बैंकों के निजीकरण नूपुर की टिप्पणी, उसके बाद उदयपुर और अमरावती में हिंदू समुदाय के दो लोगों की हत्या से जुड़े सवाल पूछे जायेंगे। बैंकिंग संशोधन बिल पर तकरार संभव है निजीकरण के लिए सरकार इस सत्र में बँकिंग कानून संशोधन बिल लाने की तैयारी में जुटी हुई है। इस बिल के पारित होने के बाद सरकारी बैंकों में अपनी पूरी हिस्सेदारी खत्म करने का रास्ता खुल जाएगा। बैंकिंग कंपनी एक्ट , 1970 के मुताबिक सरकारी बैंकों में सरकार की 51 फीसदी की हिस्सेदारी जरूरी है। सरकार ने इससे पहले प्रस्ताव रखा था कि उसकी हिस्सेदारी 51 की बजाय 26 ही रहेगी और वह भी धीरे - धीरे कम होती जाएगी।
चार अहम विधेयक लंबित इस सत्र में
बाल विवाह रोकथाम बिल, जैव विविधता बिल, भारतीय अंटार्कटिका बिल और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी बिल पेश होने हैं। विपक्ष को आपत्तियों के बाद इन बिलों को संसदीय समितियों को भेज दिया गया था। इनमें सबसे अहम बाल विवाह रोकथाम बिल है , जिसमें महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र की 18 साल से बढ़ा कर 21 साल किए जाने का प्रावधान है । * इसके लिए इसाई विवाह अधिनियम, पारसी विवाह अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ, विशेष विवाह अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन करना होगा। * शिवसेना और बीजद सहित समूचे विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया था। इससे जुड़ी संसदीय समितियों को मेल से 95,000 हजार सुझाव मिले थे, जिनमें 90,000 इस बिल के खिलाफ थे। हालांकि समिति के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने इसे साजिश बताया था।
सांसदों ने सत्र के लिए भेजे 950
सवाल संसद के 18 जुलाई से शुरू हो रहे सत्र के लिए नूपुर शमां के खिलाफ विपक्ष ने कई सवात लगाए हैं। सरकार और विपक्ष के 35 से अधिक सांसदों ने नूपुर की विवादित टिप्पणी और उससे उपजे विवाद पर करीब 950 सवाल लगाए गए हैं। इसके अलावा नूपुर की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की टिप्पणियों पर भी कुछ सदस्यों ने कानून मंत्रालय से संबंधित सवाल भेजे हैं। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने नूपुर की टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बावजूद उनकी गिरफ्तारी न होने के संदर्भ में सवाल पूछे हैं। सत्ता पक्ष के सांसदों ने इस टिप्पणी के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट के बाद राजस्थान और महाराष्ट्र में हुई एक एक व्यक्ति की हत्या के संदर्भ में सवाल पूछा है।
17 जुलाई को बुलाई सर्वदलीय बैठक सत्र
सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने सत्र से एक दिन पहले 17 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसी दिन सत्र की रणनीति तय करने के लिए राजग की भी बैठक बुलाई गई है। बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी समेत सभी पार्टियों के लोकसभा और राज्यसभा के फ्लोर नेता मौजूद रहेंगे। गौरतलब है कि सत्र के पहले ही दिन 18 जुलाई को राष्ट्रपति का चुनाव भी है।
0 टिप्पणियाँ