भोपाल से 14 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक धरोहर को समेटे है खूबसूरत गांव। 17वीं शताब्दी में बने किले को देखने यहां देश-दुनिया के लोग पहुंचते हैं। कल यानी बुधवार तक इसका नाम इस्लाम नगर था। अब यह फिर से अपने पुराने नाम जगदीशपुर से पहचाना जाएगा
केंद्र सरकार ने गांव का नाम जगदीशपुर करने की हरी झंडी दे दी है। राज्य सरकार ने भी बुधवार को नोटिफिकेशन जारी कर गांव का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया है।
जगदीशपुर से इस्लाम नगर बनने की रोंगटे खड़ी करने वाली कहानी है। औरंगजेब की सेना के भगोड़े सैनिक दोस्त मोहम्मद खान ने 308 साल पहले इसका नाम इस्लाम नगर किया था। इसका नाम वापस जगदीशपुर करने की फाइलें 30 साल से चल रही थी।
जाने भोपाल का इतिहास..
14वीं ई. में जगदीशपुर (इस्लामनगर) पर गोंड राजाओं का शासन था। 1715 में, अंतिम गोंड राजा नरसिंह देव थे। उन्होंने भोपाल शाही एडी 1476 से 1533 तक लगभग 60 वर्षों तक शासन किया। गोंड समुदाय के पहले धार्मिक गुरु परी कुपार लिंगो बाबा ने पांच देव सागा समाज के लिए बैरागढ़ तय किया। तभी से बैरागढ़ से हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले गोंडवाना समाज के लोग बैरागढ़ में बड़ा देव की पूजा करने आते हैं। यह गोंडों का सबसे बड़ा देवस्थल है।
16वीं सदी में भोपाल से 55 किलोमीटर दूर 750 गांवों को मिलाकर गिन्नौरगढ़ राज्य का निर्माण हुआ जो देहलावाड़ी के पास था। इसके राजा सूरज सिंह शाह (सलाम) थे। उसका पुत्र निजामशाह था जो बड़ा वीर, निडर और हर क्षेत्र में निपुण था।
राजधानी के सबसे प्राचीन ऐतिहासिक गांव इस्लाम नगर का नाम भले ही 308 वर्ष बाद फिर जगदीशपुर होने वाला है, लेकिन वह अब भी अपने वैभव को दोबारा से पाने के लिए इंतजार कर रहा है।
भोपाल नगर के निर्माता राजा भूपाल शाह गोंड
भोपाल नगर के निर्माता राजा भूपाल शाह गोंड
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