सागर में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष महिला एवं बाल विकास आयोग ने कानून को दरकिनार कर की कार्यवाही

सागर में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष महिला एवं बाल विकास आयोग ने कानून को दरकिनार कर की कार्यवाही

8 मई 2023 को श्यामपुरा गाँव स्थित संत फ्रांसिस अनाथालय व होली रोजरी चर्च में गैर कानूनी रूप से छापेमारी के दौरान पवित्र गिरजाघर का वा धर्मग्रंथ का अपमान करने, पुरोहितों की बेरहमी से पिटाई व झूठा आरोप लगा कर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने एवं ईसाई संस्थाओं को बदनाम करने के विरोध में सागर धर्मप्रांत के ईसाई धर्मावालंबियों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर श्री दीपक आर्य को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की। विरोध रैली तहसील स्थित संत थॉमस चर्च ज्योति भवन से आरंभ होकर कालीचरण चौराहा, सिविल लाईन चौराहा होते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुँची जहाँ ईसाई समाज के प्रतिनिधयों ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। बता दें कि 8 मई को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास आयोग एवं बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों ने गैर कानूनी रूप से आनाथश्रम स्थित 150 साल पुराने गिरजाघर व श्यामपुरा गाँव के होली रोजरी चर्च में घुस कर पवित्र बाईबल व अन्य धर्मग्रंथों का अनादर कर उन्हें जमीन में फेंक दिया जिसका विरोध करने पर टीम की महिला सदस्य ने फादर्स के साथ बदसलूकी और उन्हें गिरफ्तार कर बेरहमी से पिटवाया की। टीम के सदस्यों ने नन के कमरों में जबरन प्रवेश कर सामान को अस्त - वयस्त किया व संस्था पर झूठे आरोप लगा कर दुष्प्रचार किया। उक्त कृत्य से समस्त ईसाई समाज में रोष व असुरक्षा का माहौल व्याप्त है। उक्त कार्यवाही के विरोध में रैली निकाल कर जिला दण्डाधिकारी को ज्ञापन दिया गया। स्पष्ट है कि उक्त आयोग केवल ईसाई संस्थाओं पर इस तरह की कार्यवाही कर पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रही व जिले के अन्य संस्थाओं पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नही की जा रही है। रैली में बड़ी संख्या में ईसाई धर्मावलंबि उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग का क्या मानना है जाने..

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 8 मई को सागर के श्यामपुरा स्थित सेंट फ्रांसिस सेवाधाम आश्रम का दौरा किया था . इसके बाद उन्होंने सेवाधाम पर गंभीर आरोप लगाए थे . उन्होंने सेवाधाम पर धार्मिक परीक्षा संबंधित पेपर मिलने, एक ही जगह बच्चों को कई सालों तक रखने और धर्म विशेष की प्रार्थना करवाने का आरोप लगाया था. उन्होंने संस्था द्वारा धर्मांतरण के आरोप लगाते हुए कहा था कि " आयोग को एक लड़की की जानकारी मिली है जो आश्रम में दाखिल होते समय हिन्दू थी, लेकिन बालिग होने पर ईसाई हो गई है. " उन्होंने सेवाधाम छात्रावास में लड़के और लड़कियां एक साथ रखने और एक पंजीयन पर 2 संस्थान चलाने के अलावा 1 कमरे से शराब की बोतलें मिलने के आरोप लगाए थे. हांलाकि, इन आरोपों के बाद सेवाधाम ने अपनी सफाई पेश की थी और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के आरोपों को निराधार बताया था.

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