रूस की यूना को गा रूस की यूना को गाय चराने वाले से हुआ प्यार:3 साल पहले वृंदावन आईं, टूटी-फूटी हिंदी और इशारों में होती थी बात...अब दिल्ली में लव-मैरिज य चराने वाले से हुआ प्यार:3 साल पहले वृंदावन आईं, टूटी-फूटी हिंदी और इशारों में होती थी बात...अब दिल्ली में लव-मैरिज
वृंदावन, यानी श्रीकृष्ण की नगरी। यहां की गलियों में प्यार की कहानियां बिखरी हुईं हैं। इन्हीं में अब रूस से भारत घूमने आईं यूना ओल्या के प्यार की कहानी भी जुड़ चुकी है। 3 साल पहले भारत घूमने आई यूना को गाय की सेवा करने वाले राजकरण से प्यार हो गया। ऐसा प्यार, जिसमें 2 साल तक इजहार नहीं हुआ। फिर, दोनों ने एक साथ रहने का फैसला किया। 3 महीने पहले उन्होंने दिल्ली में शादी कर ली। अब वृंदावन में चंदन लगाए ये कपल गोसेवा करता हुआ दिखता है।
रूस की यूना को गाय चराने वाले से हुआ प्यार:3 साल पहले वृंदावन आईं, टूटी-फूटी हिंदी और इशारों में होती थी बात...अब दिल्ली में लव-मैरिज
वृंदावन, यानी श्रीकृष्ण की नगरी। यहां की गलियों में प्यार की कहानियां बिखरी हुईं हैं। इन्हीं में अब रूस से भारत घूमने आईं यूना ओल्या के प्यार की कहानी भी जुड़ चुकी है। 3 साल पहले भारत घूमने आई यूना को गाय की सेवा करने वाले राजकरण से प्यार हो गया। ऐसा प्यार, जिसमें 2 साल तक इजहार नहीं हुआ। फिर, दोनों ने एक साथ रहने का फैसला किया। 3 महीने पहले उन्होंने दिल्ली में शादी कर ली। अब वृंदावन में चंदन लगाए ये कपल गोसेवा करता हुआ दिखता है।
राजकरण 20 साल पहले वृंदावन आए, 10 साल से करते हैं गोसेवा
दरअसल, राजकरण बांदा के रहने वाले हैं। 20 साल पहले वो वृंदावन आए। वो कहते हैं, ''हमारे एक दोस्त हैं, उन्होंने ने ही हमें वृंदावन बुलाया था। कहा कि श्रीकृष्ण का स्थान है। यहां मंदिरों के दर्शन होंगे। थोड़ा बहुत काम करके आजीविका चला लेंगे। 10 साल तक इधर-उधर घूमते रहे।
इसके बाद हमने सड़क पर बेसहारा गोवंशों की सेवा करना शुरू किया। इस काम में मन भी लगा। सड़क पर घूमने वाले गोवंशों को एक जगह लाते थे। उनकी साफ-सफाई करना, चारा देना। इसी में दिन गुजर रहे थे।''
यूना आज भी राजकरण की गोसेवा करते हुए वीडियो और फोटो तैयार करती रहती हैं।
भारत भ्रमण पर आईं यूना, वृंदावन में रह गईं
दूसरी तरफ, यूना ओल्या श्रीकृष्ण की भक्त हैं। वो 3 साल पहले भारत घूमने आईं थीं। भारत भ्रमण करते-करते जब वृंदावन पहुंची, तो यहां कृष्ण भक्ति में लीन हो गईं। यूना वृंदावन की सड़कों पर घूमती और कृष्ण भक्ति में मस्त रहती। एक दिन, उन्होंने राजकरण को सड़क पर गोवंश की सेवा करते हुए देखा।
शादी के बाद दोनों मिलकर गोसेवा करते हैं। आजीविका के लिए दोनों मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं के चंदन लगाते हैं।
यूना कहती हैं, ''मैं वही ठहर गई। मुझे उनका नाम नहीं पता था। लेकिन, वो सेवा बहुत अच्छे से कर रहे थे। मैं जहां किराए पर रहती थी, राजकरण भी उसी के पास गोवंशों को रखकर सेवा करते थे। मैं कृष्ण भक्ति करती और राजकरण गौ सेवा करते। इस दौरान मैं राजकरण के फोटो और वीडियो भी बनाती।
वो भी मुझे जानने लगे, लेकिन हमारी बहुत बातचीत नहीं होती थी। इसी तरह से 2 साल निकल गए। किसी ने मोहब्बत का इजहार नहीं किया।''
शाम के वक्त, नियमित गायों के सेवा और चारा खिलाते हैं। इस दौरान यूनो खुद साफ-सफाई करती हैं।
घर दिलाकर राजकरण यूना के करीब आए
इसी बीच एक घटना घटी। एक साल पहले यूना, जिस किराए के मकान में रहती थीं। उन्हें वो घर खाली करने के लिए कहा गया। जिसे सुनकर वह परेशान रहने लगी। यूना को उदास देखकर राजकरण ने उससे पहली बार बात की और परेशानी जानी। यहां भी भाषा, दोनों के बीच रोड़ा साबित हुई।
राजकरण कहते हैं कि हमें श्रीकृष्ण और इन गायों ने मिलवाया है। अब हम हमेशा साथ-साथ रहेंगे।
टूटी-फूटी हिंदी और इशारों में होती थी बात
इंग्लिश न आने के कारण राजकरण इशारों में अपनी बात समझाते थे। टूटी-फूटी हिंदी में बातचीत और इशारों में यूना ने कमरा खाली करने की बात कही। इसके बाद राजकरण ने उनसे परेशान नहीं होने का दिलासा दिया। प्रेम मंदिर के पीछे एक मकान में कमरा किराए पर दिला दिया। राजकरण की मदद और गोसेवा से यूना प्रभावित हो गईं। वो कहती हैं कि पहली बार राजकरण ने उन्हें प्रपोज किया। मैंने शुरुआत में श्रीकृष्ण की भक्ति के चलते मना किया, लेकिन फिर मैं मान गई।
इसके बाद अप्रैल 2023 में दिल्ली के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। वैदिक रीति रिवाज़ से शादी करने के बाद यूना ने मांग में सिंदूर भरा, गले में मंगलसूत्र पहना, माथे पर बिंदी और हाथों में सुहाग का चूड़ा पहना। भारतीय संस्कृति में रंगी और बसी यूना अब राजकरण की पत्नी बन गई।
खर्चा निकालने के लिए लगाते हैं चंदन
राजकरण और उनकी पत्नी यूनो सुबह इस्कॉन मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद वह गोवंश की सेवा करते हैं। शाम को खर्चा चलाने के लिए इस्कॉन के बाहर श्रद्धालुओं को चंदन लगाते हैं। इसके बाद, शाम 6 बजे फिर वह गोवंश को चारा डालने निकल जाते हैं।
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