खोजकर्ता बोले देवगढ़ के कुंए और बावड़ी को देख किसी यूरोपियन देश की तस्वीर दिमाग में उभरती है.

देवगढ़ के कुंए और बावड़ी को देख किसी यूरोपियन देश की तस्वीर दिमाग में उभरती है.

देवगढ़ के कुंए और बावड़ी को देख किसी यूरोपियन देश की तस्वीर दिमाग में उभरती है.

देवगढ़ के कुंए और बावड़ी को देख किसी यूरोपियन देश की तस्वीर दिमाग में उभरती है.

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कुंए और बावड़ियां काफी गहरी हैं और इनसे सालों स्वच्छ पानी मिलता रहा है.

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मॉडर्न एरा में ये आर्किटेक्चरल मार्वेल हैं देवगढ़ के ये तालाब

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इन्हे देककर आपको पुरानी हॉलीवुड फिल्मों के कुंओं की याद आएगी

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बावड़ियों के प्रवेश से पहले इस तरह से किले नजर आएंगे

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देवगढ़ की ढलती शाम का नजारा दिलकश और मन को मोह लेने वाला है

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यहां जाएं तो पुरातत्व विभाग की ओर से दी गई जानकारियों को जरुर पढ़ें.



यह किला 16वीं सदी में गोंड राजाओं द्वारा निर्मित माना जाता है। देवगढ़ का कोई प्रत्यक्ष लिखित इतिहास प्राप्त नहीं होता है। लेकिन बादशाहनामा व अन्य मुगल साहित्य में देवगढ़ की चर्चा की गई है।अकबर के समय देवगढ़ पर जाटवा शाह राज्य करता था।

यह किला 16वीं सदी में गोंड राजाओं द्वारा निर्मित माना जाता है। बादशाहनामा व अन्य मुगल साहित्य में देवगढ़ की चर्चा की गई है।अकबर के समय देवगढ़ पर जाटवा शाह राज्य करता था।

अपने साम्राज्य के तहत जाने पर सम्राट अकबर ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण के लिए अपने सूबेदार को नियुक्त किया। अबुल फजल लिखता है कि सम्राट अकबर के शासन के 28वें वर्ष सूर्य 1584 ईसा पूर्व में देवगढ़ के राजा जाटवा शाह ने मोहम्मद जामिन को मार डाला। मोहम्मद जामिन, मोहम्मद यूसुफ खान का चचेरा भाई था। मोहम्मद जामिन ने बिना सम्राट अकबर की अनुमति के देवगढ़ पर सन् 1584 ई.में आक्रमण कर दिया। 

जाटवा शाह ने मोहम्मद जामिन का स्वागत किया। उनके रूप कर्ता की एवं भविष्य में उनकी छत्रछाया का पालन करने का वचन दिया। लेकिन मोहम्मद जामिन ने उल्लंघन का उल्लंघन कर लालच और मोह के मद में अंग सेना सहित हरिया गढ़ पर आक्रमण कर दिया। और हरिया गढ़ को जमकर लूटा। 

शायद सन 1584 ईस्वी का यह आक्रमण ही हरिया गढ़ के गिरने की कहानी है। जाटवा के संबंध में लिखा है कि "जहांगीर की यादें" में लिखा है कि "सम्राट जहांगीर अपने शासन के 11वें वर्ष सन् 1616 ईस्वी में मंगलवार से मालवा आया था। मालवा की सीमा पार करते समय जाटवा शाह ने बादशाह को दो हाथी पत्र का संदर्भ दिया।" 

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इससे साफ होता है कि जाटवा शाह एक प्रभावशाली राजा थे। इसकी स्वयं की अवधारणा थी। जिसमें महाराजा जाटवा शाह के नाम से ब्रेनजा के सिक्के चमकते थे। राजा जाटवा शाह ने 50 साल तक यानी सन् 1620 ईस्वी तक कहा।

हालांकि देवगढ़ के किले का निर्माण राजा जाटवा शाह ने किया था। आसपास के क्षेत्र में 800 कुआं, 900 बावली का निर्माण राजा जाटवा शाह ने किया था।

Source-ETV Madhya Pradesh

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